Viṣṇu Sahasranāma & Śiva Sahasranāma
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Viṣṇu Sahasranāma
The most popular version of विष्णु सहस्रनाम(Viṣṇu Sahasranāma) comes in Chapter 135 of Anuśāsana Parva of Mahābhārata. Some names appear multiple times with different meanings.
4 Times - प्राणद, श्रीमान् (2 Names)
3 Times - अज, प्राण, भोक्ता, माधव, वसु, वासुदेव, विष्णु, वीर, वीरहा, सत्य (10 Names)
2 Times - अक्षोभ्य, अच्युत, अनघ, अनन्त, अनल, अनिरुद्ध, अनिर्देश्यवपु, अनिर्विण्ण, अनिल, अपराजित, अमितविक्रम, अमेयात्मा, अमोघ, आदित्य, आदिदेव, ईश्वर, उद्भव, ऋद्ध, कान्त, कुमुद, कृतज्ञ, कृतागम, कृष्ण, केशव, क्षाम, गहन, गोपति, गोप्ता, गोविन्द, चक्री, चतुरात्मा, चतुर्व्यूह, तार, दक्ष, दुर्धर, निवृत्तात्मा, पद्मनाभ, पावन, पुण्य, पुरुष, पुष्कराक्ष, प्रजापति, प्रणव, प्रभु, प्रमाण, भीम, महाकर्मा, महीधर, मार्ग, यज्ञ, वसुप्रद, वसुमना, वायुवाहन, विक्रमी, विधाता, विभु, विश्वयोनि, वेदवित्, शिव, शुचि, शुभाङ्ग, शौरि, श्रीनिवास, सतां गति, सर्वज्ञ, संवत्सर, सविता, सहिष्णु, सिद्ध, सिंह, सुखद, सुपर्ण, सुव्रत, स्थविष्ठ, स्रष्टा, हिरण्यगर्भ, हुतभुक् (77 Names)
It has 897 unique names with 1000 meanings effectively.
Śiva Sahasranāma
One of the popular versions of शिव सहस्रनाम(Śiva Sahasranāma) comes in Chapter 17 of Anuśāsana Parva of Mahābhārata. Some names appear multiple times with different meanings.
4 Times: काल, विभु, सिद्धार्थ, हरि (4 Names)
3 Times: अजित, अनल, ध्रुव, पवित्र, प्रसाद, महाकाय, महान, महायशा, वर, शङ्कर, हर (11 Names)
2 Times: अनिन्दित, अनिल, अमर, अव्यय, असत्, उमापति, उर्ध्वरेता, कलि, काम, गति, गुह, जटी, तरू, दुर्वासा, देव, नन्दिकर, नर, निशाचर, पशुपति, पितामह, भव, भूतभावन, मन्त्र, महागर्भ, महातपा, महात्मा, महादंष्ट्र, महाबल, महारूप, महाहनु, मुण्ड, यज्ञ, लोकपाल, वज्री, विश्वदेव, विश्वरूप, शक्र, शुक्ल, शुचि, शोभन, सत्, सर्व, सर्वचारी, सर्वदेवमय, सर्वाङ्ग, स्थिर, हरिण, हवि (48 Names)
It has 926 unique names with 1008 meanings effectively.
Common Names in Both Sahasranāmas
अक्षर, अचिन्त्य, अज, अजित, अनघ, अनन्तरूप, अनल, अनिमिष, अनिल, अमृत, अमोघ, अर्थ, अव्यय, अश्वत्थ, असत्, आदित्य, ईशान, ईश्वर, उग्र, ऋतु, कपिल, कर्ता, कान्त, काम, काल, कृष्ण, गुरु, गुह, गुह्य, गोपति, चल, जीवन, तारण, त्रिविक्रम, त्वष्टा, दक्ष, दक्षिण, दमन, देव, धन्वी, धाता, ध्रुव, नन्दन, नन्दि, नर, निग्रह, नियम, निर्वाण, नैकात्मा, न्यग्रोध, पद्मगर्भ, पद्मनाभ, परमात्मा, पवित्र, प्रजापति, प्रत्यय, प्रभु, प्रमाण, ब्रह्म, ब्रह्मकृत्, ब्रह्मवित्, ब्रह्मा, ब्राह्मण, भगवान्, भाव, भीम, भूतभावन, मधु, मनोजव, मन्त्र, महाकर्मा, महाकोश, महाक्ष, महातपा, महातेजा, महादेव, महान्, महाबल, महामाय, मान्य, यज्ञ, योग, योगी, रवि, रुद्र, लोहिताक्ष, वरद, वाजसन, वामन, वायुवाहन, विजय, विधाता, विभु, विरज, विराम, विश्वबाहु, विष्णु, विष्वक्सेन, वृक्ष, वैद्य, व्यवसाय, शर्व, शाश्वत, शिखण्डी, शिव, शुचि, श्रीमान्, संग्रह, सत्, सत्कृत, सर्व, सर्वकामद, सर्वग, सर्वज्ञ, सर्वतोमुख, संवत्सर, सविता, सह, सहस्राक्ष, सिद्धार्थ, सिद्धि, सुदर्शन, सुमुख, सुराध्यक्ष, सुरारिहा, सूक्ष्म, सूर्य, सोम, स्कन्द, स्थाणु, स्थिर, स्वस्तिद, हरि, हिरण्यबाहु, हुत, हुताशन, हुताशनसहाय, हेमकर, हैम, ह्लादन (140 Names)
Viṣṇu Sahasranāma - Full list
क्रम | नाम | अर्थ |
915 | अक्रूरः | सब प्रकार के क्रूरभावों से रहित |
17 | अक्षरः | कभी क्षीण न होने वाले |
481 | अक्षरम् | अविनाशी |
801 | अक्षोभ्यः | किसी के द्वारा भी क्षुभित न किये जा सकने वाले |
999 | अक्षोभ्यः | जो किसी प्रकार भी विचलित नहीं किये जा सके, ऐसे |
891 | अग्रजः | सबसे पहले जन्मने वाले आदिपुरुष |
218 | अग्रणीः | मुमुक्षुओं को उत्तम पद पर ले जाने वाले |
55 | अग्राह्यः | मन से भी ग्रहण न किये जा सकने वाले |
745 | अचलः | किसी प्रकार भी विचलित न होने वाले - अविचल |
832 | अचिन्त्यः | किसी प्रकार भी चिन्तन करने में न आने वाले अव्यक्तस्वरूप |
100 | अच्युतः | अपनी स्वरूप स्थिति से कभी त्रिकाल में भी च्युत न होने वाले |
318 | अच्युतः | छः भावविकारों से रहित |
95 | अजः | जन्मरहित |
204 | अजः | दुर्गुणों को दूर हटा देने वाले |
521 | अजः | अकार भगवान विष्णु का वाचक है, उससे उत्पन्न होने वाले ब्रह्मास्वरूप |
549 | अजितः | किसी के द्वारा न जीते जाने वाले |
835 | अणुः | अत्यन्त सूक्ष्म |
157 | अतीन्द्रः | स्वयंसिद्ध ज्ञान-ऐश्वर्यादि के कारण इन्द्र से भी बढ़े-चढ़े हुए |
169 | अतीन्द्रियः | इन्द्रियों से सर्वथा अतीत |
355 | अतुलः | तुलनारहित |
304 | अदृश्यः | समस्त ज्ञानेन्द्रियों के अविषय |
895 | अद्भुतः | अत्यन्त आश्चर्यमय |
951 | अधाता | जिसका कोई भी बनाने वाला न हो ऐसे स्वयं स्थित |
324 | अधिष्ठानम् | उपादान कारणरूप से सब भूतों के आश्रय |
842 | अधृतः | जिनको कोई भी धारण नहीं कर सकता- ऐसे निराधार |
415 | अधोक्षजः | अपने स्वरूप से क्षीण न होने वाले |
146 | अनघः | पापरहित |
831 | अनघः | सब प्रकार से निष्पाप |
659 | अनन्तः | जिनके स्वरूप, शक्ति, ऐश्वर्य, सामर्थ्य और गुणों का कोई भी पार नहीं पा सकता- ऐसे अविनाशी गुण, प्रभाव और शक्तियों से युक्त |
886 | अनन्तः | सब प्रकार से अन्तरहित |
307 | अनन्तजित् | युद्ध और क्रीड़ा आदि में सर्वत्र समस्त भूतों को जीतने वाले |
932 | अनन्तरूपः | अमितरूपवाले |
933 | अनन्तश्रीः | अपरिमित शोभासम्पन्न |
518 | अनन्तात्मा | अनन्तमूर्ति |
400 | अनयः | स्वतन्त्र |
431 | अनर्थः | पूर्णकाम होने के कारण प्रयोजनरहित |
293 | अनलः | अग्निस्वरूप |
711 | अनलः | अपार शक्ति और सम्पत्ति से युक्त |
941 | अनादिः | जिसका आदि कोई न हो ऐसे सबके कारणस्वरूप |
42 | अनादिनिधनः | जन्म-मृत्यु से रहित |
689 | अनामयः | आन्तरिक और बाह्म सब प्रकार की व्याधियों से रहित |
215 | अनिमिषः | मत्स्यरूप से अवतार लेने वाले |
865 | अनियमः | नियमों से न बँधे हुए, जिनका कोई भी नियन्त्रण करने वाला नहीं, ऐसे परमस्वतन्त्र |
185 | अनिरुद्धः | किसी के भी द्वारा न रुकने वाले |
638 | अनिरुद्धः | जिनको कोई बाँधकर नहीं रख सके- ऐसे चतुर्व्यूह में अनिरुद्धस्वरूप् |
177 | अनिर्देश्यवपुः | वर्णन करने में न आने योग्य स्वरूप |
656 | अनिर्देश्यवपुः | जिनके दिव्य स्वरूप का किसी प्रकार भी वर्णन नहीं किया जा सके- ऐसे अनिर्वचनीय शरीरवाले |
435 | अनिर्विण्णः | उकताहटरूप विकार से रहित |
892 | अनिर्विण्णः | पूर्णकाम होने के कारण उकताहट से रहित |
234 | अनिलः | प्राणरूप से वायुस्वरूप |
812 | अनिलः | सदा प्रबुद्ध रहने वाले |
596 | अनिवर्ती | रणभूमि में और धर्मपालन में पीछे न हटने वाले |
774 | अनिवृत्तात्मा | सर्वत्र विद्यमान होने के कारण जिनका आत्मा कहीं से भी हटा हुआ नहीं है, ऐसे |
626 | अनीशः | जिनका दूसरा कोई शासक न हो- ऐसे स्वतन्त्र |
342 | अनुकूलः | आत्मारूप होने से सबके अनुकूल |
80 | अनुत्तमः | सर्वोत्कृष्ट |
721 | अनेकमूर्तिः | नाना अवतारों में स्वेच्छा से लोगों का उपकार करने के लिये बहुत मूर्तियों को धारण करने वाले |
520 | अन्तकः | प्राणियों का संहार करने वाल मृत्युस्वरूप |
983 | अन्नम् | समस्त प्राणियों के अन्न यानि अन्न की भाँति उनकी सब प्रकार से तुष्टि-पुष्टि करने वाले |
984 | अन्नादः | समस्त अन्नों के भोक्ता |
716 | अपराजितः | दूसरों से अजित |
862 | अपराजितः | शत्रुओं द्वारा पराजित न होने वाले |
323 | अपां निधिः | जल को एकत्र रखने वाले, समुद्ररूप |
900 | अप्ययः | सम्पूर्ण जगत के लयस्थान |
639 | अप्रतिरथः | प्रतिपक्ष से रहित |
325 | अप्रमत्तः | कभी प्रसाद नकरने वाले |
46 | अप्रमेयः | प्रमाणादि से जानने में न आ सकने वाले |
248 | अप्रमेयात्मा | किसी से भी मापे न जा सकने वाले |
871 | अभिप्रायः | प्रेमीजन जिनको चाहते हैं - ऐसे परम इष्ट |
437 | अभूः | अजन्मा |
49 | अमरप्रभुः | देवताओं के स्वामी |
747 | अमानी | स्वयं मान न चाहने वाले |
516 | अमितविक्रमः | वामनावतार में पृथ्वी नापते समय अत्यन्त विस्तृत पैर रखने वाले |
641 | अमितविक्रमः | अपार पराक्रमी |
372 | अमिताशनः | प्रलयकाल में सारे विश्व को भक्षण करने वाले |
830 | अमूर्तिः | मूर्तिरहित निराकार |
720 | अमूर्तिमान् | जिनकी कोई मूर्ति नहीं- ऐसे निराकार |
119 | अमृतः | कभी न मरने वाले |
504 | अमृतपः | समुद्रमन्थन से निकाला हुआ अमृत देवों को पिलाकर स्वयं पीने वाले |
814 | अमृतवपुः | जिनका कलेवर कभी नष्ट न हो- ऐसे नित्य विग्रह |
813 | अमृताशः | जिनकी आशा कभी विफल न हो- ऐसे अमोघसंकल्प |
283 | अमृतांशूद्भवः | समुद्रमन्थन करते समय चन्द्रमा को उत्पन्न करने वाले |
198 | अमृत्युः | मृत्यु से रहित |
102 | अमेयात्मा | अप्रमेयस्वरूप |
179 | अमेयात्मा | जिसका अनुमान न किया जा सके ऐसे आत्मावाले |
110 | अमोघः | भक्तों के द्वारा पूजन, स्वतन अथवा स्मरण किये जाने पर उन्हें वृथा न करके पूर्णरूप से उनका फल प्रदान करने वाले |
154 | अमोघः | अव्यर्थ चेष्टा वाले |
517 | अम्भोनिधिः | जल के निधान समुद्रस्वरूप |
866 | अयमः | जिनका कोई शासक नहीं |
347 | अरविन्दाक्षः | कमल के समान आँखों वाले |
906 | अरौद्रः | सब प्रकार के रुद्र (क्रूर) भावों से रहित शान्तिमूर्ति |
795 | अर्कः | ब्रह्मादि पूज्य पुरुषों के भी पूजनीय |
634 | अर्चितः | ब्रह्मादि समस्त लोकों से पूजे जाने वाले |
633 | अर्चिष्मान् | चन्द्र-सूर्य आदि समस्त ज्योतियों को देदीप्यमान करने वाली अतिशय प्रकाशमय अनन्त किरणों से युक्त |
430 | अर्थः | सुखस्वरूप होने के कारण सबके द्वारा प्रार्थनीय |
873 | अर्हः | सबके परम पूज्य |
482 | अविज्ञाता | क्षेत्रज्ञ जीवात्मा को विज्ञाता कहते हैं, उनसे विलक्षण भगवान विष्णु |
621 | अविधेयात्मा | जिनके असली स्वरूप का किसी प्रकार भी वर्णन नहीं किया जा सके- ऐसे अनिर्वचनीयस्वरूप |
309 | अविशिष्टः | सम्पूर्ण विशेषणों से रहित |
722 | अव्यक्तः | अनेक मूर्ति होते हुए भी जिनका स्वरूप किसी प्रकार व्यक्त न किया जा सके- ऐसे अप्रकटस्वरूप |
305 | अव्यक्तरूपः | निराकार स्वरूपवाले |
129 | अव्यङ्गः | ज्ञानादि से परिपूर्ण अर्थात् किसी प्रकार अधूरे न रहने वाले सर्वांगपूर्ण |
13 | अव्ययः | कभी विनाश को प्राप्त न होने वाले |
336 | अशोकः | सब प्रकार के शोक से रहित |
824 | अश्वत्थः | पीपल वृक्षस्वरूप |
247 | असंख्येयः | जिसके नाम और गुणों की संख्या न की जा सके |
479 | असत् | स्थूल जगत्स्वरूप |
108 | असम्मितः | समस्त पदार्थों से मापे न जा सकने वाले |
90 | अहः | प्रकाशरूप |
232 | अहः संवर्तकः | सूर्यरूप से सम्यक्तया दिन के प्रवर्तक |
985 | आत्मयोनिः | जिनका कारण दूसरा कोई नहीं ऐसे स्वयं योनिस्वरूप |
84 | आत्मवान् | अपनी ही महिमा में स्थित |
39 | आदित्यः | द्वादश आदित्यों में विष्णुनामक आदित्य |
563 | आदित्यः | अदितिपुत्र वामन भगवान |
334 | आदिदेवः | सबके आदिकारण देव |
490 | आदिदेवः | सबके आदि कारण और दिव्यस्वरूप |
950 | आधारनिलयः | आधारस्वरूप पृथ्वी आदि समस्त भूतों के स्थान |
526 | आनन्दः | आनन्दस्वरूप |
560 | आनन्दी | परम सुखस्वरूप |
228 | आवर्तनः | संसारचक्र को चलाने के स्वभाव वाले |
852 | आश्रमः | सबको विश्राम देने वाले |
446 | इज्यः | पूजनीय |
786 | इन्द्रकर्मा | इन्द्र के समान कर्मवाले |
308 | इष्टः | परमानन्दरूप होने से सर्वप्रिय |
64 | ईशानः | सर्वभूतों के नियन्ता |
36 | ईश्वरः | उपाधिरहित ऐश्वर्य वाले |
74 | ईश्वरः | सर्वशक्तिमान ईश्वर |
421 | उग्रः | सूर्यादि के भी भय के कारण |
494 | उत्तरः | संसार-समुद्र से उद्धार करने वाले और सर्वश्रेष्ठ |
923 | उत्तारणः | संसार-सागर से पार करने वाले |
624 | उदीर्णः | सब प्राणियों से श्रेष्ठ |
823 | उदुम्बरः | कारणरूप से आकाश के भी ऊपर रहने वाले |
373 | उद्भवः | जगत की उत्पत्ति के उपादान कारण |
790 | उद्भवः | स्वेच्छा से श्रेष्ठ जन्म धारण करने वाले |
151 | उपेन्द्रः | इन्द्र के छोटे भाई |
156 | ऊर्जितः | अत्यन्त बलशाली |
910 | ऊर्जितशासनः | जिनका श्रुति- स्मृतिरूप शासन अत्यन्त श्रेष्ठ है- ऐसे अतिश्रेष्ठ शासन करने वाले |
954 | ऊर्ध्वगः | सबसे ऊपर रहने वाले |
416 | ऋतुः | ऋतुस्वरूप |
278 | ऋद्धः | धर्म, ज्ञान और वैराग्यादि से सम्पन्न |
351 | ऋद्धः | सबमें बढे़-चढ़े |
725 | एकः | सब प्रकार के भेदभावों से रहित अद्वितीय |
772 | एकपात् | एक पाद वाले यानि एक पाद (अंश)- से समस्त विश्व को व्याप्त करने वाले |
965 | एकात्मा | अद्वितीयस्वरूप |
275 | ओजस्तेजोद्युतिधरः | प्राण और बल, शूरवीरता आदि गुण तथा ज्ञान की दीप्ति को धारण करने वाले |
287 | औषधम् | संसार रोग को मिटाने के लिये औषधरूप |
728 | कः | सुखस्वरूप |
848 | कथितः | वेद-शास्त्र और महापुरुषों द्वारा जिनके गुण, प्रभाव, ऐश्वर्य और स्वरूप का बारंबार कथन किया गया है, ऐसे सबके द्वारा वर्णित |
541 | कनकाङ्गदी | सुवर्ण का बाजूबंद धारण करने वाले |
899 | कपिः | सूर्यदेव |
898 | कपिलः | महर्षि कपिलावतार |
501 | कपीन्द्रः | बंदरों के स्वामी श्रीराम |
378 | करणम | संसारकी उत्पत्ति के सबसे बड़े साधन |
380 | कर्ता | सबके रचयिता |
132 | कविः | सर्वज्ञ |
296 | कान्तः | कमनीयरूप |
654 | कान्तः | परम मनोहर स्वरूप |
297 | कामः | (क) ब्रह्मा, (अ) विष्णु, (म) महादेव- इस प्रकार त्रिदेवरूप |
295 | कामकृत् | भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करने वाले |
651 | कामदेवः | धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थों को चाहने वाले मनुष्यों द्वारा अभिलषित समस्त कामनाओं के अधिष्ठाता परमदेव |
652 | कामपालः | सकामी भक्तों की कामनाओं की पूर्ति करने वाले |
298 | कामप्रदः | भक्तों को उनकी कामना की हुई वस्तुएँ प्रदान करने वाले |
294 | कामहा | अपने भक्तजनों के सकामभाव को नष्ट करने वाले |
653 | कामी | अपने प्रियतमों को चाहने वाले |
379 | कारणम् | जगत् के उपादान और निमित्तकारण |
418 | कालः | सबकी गणना करने वाले |
642 | कालनेमिनिहा | कालनेमि नामक असुर को मारने वाले |
729 | किम् | विचारणीय ब्रह्मस्वरूप |
907 | कुण्डली | सूर्य के समान प्रकाशमान मकराकृति कुण्डलों को धारण करने वाले |
809 | कुन्दः | परशुराम-अवतार में पृथ्वी प्रदान करने वाले |
808 | कुन्दरः | हिरण्याक्ष को मारने के लिये पृथ्वी को विदीर्ण करने वाले |
589 | कुमुदः | पृथ्वी पर प्रसन्नतापूर्वक लीला करने वाले |
807 | कुमुदः | कु अर्थात् पृथ्वी को उसका भार उतारकर प्रसन्नकरने वाले |
635 | कुम्भः | घट की भाँति सबके निवासस्थान |
590 | कुवलेशयः | जल में शेषनाग की शय्या पर शयन करने वाले |
788 | कृतकर्मा | जो समस्त कर्तव्य कर्म कर चुके हों, जिनका कोई कर्तव्य शेष न रहा हो- ऐसे कृतकृत्य |
82 | कृतज्ञः | अपने निमित्त से थोड़ा-सा भी त्याग किये जाने पर उसे बहुत मानने वाले यानि पत्र-पुष्पादित थोड़ी सी वस्तु समर्पण करने वालों को भी मोक्ष दे देने वाले |
532 | कृतज्ञः | अपने भक्तों की सेवा को बहुत मानकर अपने को उनका ऋणी समझने वाले |
485 | कृतलक्षणः | श्रीवत्स आदि चिह्नों को धारण करने वाले |
136 | कृताकृतः | कायर्करूप से कृत और कारणरूप से अकृत |
655 | कृतागमः | समस्त वेद और शास्त्रों को रचने वाले |
789 | कृतागमः | स्वोचित अनेक कार्यों को पूर्ण करने के लिये अवतार धारण करके अने वाले |
537 | कृतान्तकृत् | स्मरण करने वालों के समस्त कर्मों का अन्त करने वाले |
83 | कृतिः | पुरुष-प्रयत्न के आधाररूप |
837 | कृशः | अत्यन्त पतले और हलके |
57 | कृष्णः | सबके चित्त को बलात् अपनी ओर आकर्षित करने वाले परमानन्दस्वरूप |
550 | कृष्णः | श्यामसुन्दर श्रीकृष्ण |
23 | केशवः | (क) ब्रह्मा, (अ) विष्णु और (ईश) महादेव- इस प्रकार त्रिमूर्तिस्वरूप |
648 | केशवः | ब्रह्मा, विष्णु और शिव-स्वरूप |
649 | केशिहा | केशी नाम के असुर को मारने वाले |
448 | क्रतुः | स्तम्भयुक्त यज्ञस्वरूप |
79 | क्रमः | क्रम विस्तार के कारण |
315 | क्रोधकृत्कर्ता | क्रोध करने वाले दैत्यादि के विनाशक |
314 | क्रोधहा | क्रोध का नाश करने वाले |
442 | क्षमः | समस्त कार्यों में समर्थ |
919 | क्षमिणां वरः | क्षमा करने वालों में सर्वश्रेष्ठ |
480 | क्षरम् | सर्वभूतमय |
443 | क्षामः | समस्त जगत् के निवासस्थान |
854 | क्षामः | प्रलयकाल में सब प्रजा का क्षय करने वाले |
991 | क्षितीशः | पृथ्वीपति |
16 | क्षेत्रज्ञः | क्षेत्र अर्थात समस्त प्रकृतिरूप शरीर को पूर्णतया जानने वाले |
599 | क्षेमकृत् | शरणागत की रक्षा करने वाले |
374 | क्षोभणः | जगत् की उत्पत्ति के समय प्रकृति और पुरुष में प्रविष्ट होकर उन्हें क्षुब्ध करने वाले |
568 | खण्डपरशुः | शत्रुओं का खण्डन करने वाले फरसे को धारण करने वाले परशुरामस्वरूप |
566 | गतिसत्तमः | सर्वश्रेष्ठ गतिस्वरूप |
764 | गदाग्रजः | गद से पहले जन्म लेने वाले श्रीकृष्ण |
997 | गदाधरः | कौमोदकी नाम की गदा धारण करने वाले |
486 | गभस्तिनेमिः | किरणों के बीच में सूर्यरूपसे स्थित |
543 | गभीरः | अतिशय गम्भीर स्वभाववाले |
937 | गभीरात्मा | गम्भीर मनवाले |
354 | गरूडध्वजः | गरूड के चिह्न से युक्त ध्वजावाले |
382 | गहनः | अपने विलक्षण स्वरूप, सामर्थ्य और लीलादि के कारण पहचाने न जा सकने वाले |
544 | गहनः | जिनके स्वरूप में प्रविष्ट होना अत्यन्त कठिन हो-ऐसे |
839 | गुणभृत् | समस्त गुणों को धारण करने वाले |
545 | गुप्तः | वाणी और मन से जानने में न आने वाले |
209 | गुरुः | सब विद्याओं का उपदेश करने वाले |
210 | गुरुतमः | ब्रह्मा आदि को भी ब्रह्मविद्या प्रदान करने वाले |
383 | गुहः | माया से अपने स्वरूप को ढक लेने वाले |
542 | गुह्यः | हृदयाकाश में छिपे रहने वाले |
495 | गोपतिः | गोपालरूप से गायों की रक्षा करने वाले |
592 | गोपतिः | पृथ्वी के और गायों के स्वामी |
496 | गोप्ता | समस्त प्राणियों का पालन और रक्षा करने वाले |
593 | गोप्ता | अवतार धारण करके सबके सम्मुख प्रकट होते समय अपनी माया से अपने स्वरूप को आच्छादित करने वाले |
188 | गोविदां पतिः | वेदवाणी को जानने वालों के स्वामी |
187 | गोविन्दः | वेदवाणी के द्वारा अपने को प्राप्त करा देने वाले |
539 | गोविन्दः | नष्ट हुई पृथ्वी को पुनः प्राप्त कर लेने वाले |
591 | गोहितः | गोपालरूप से गायों का और अवतार धारण करके भार उतारकर पृथ्वी का हित करने वाले |
219 | ग्रामणीः | भूतसमुदाय के नेता |
744 | घृताशीः | अपने आश्रित जनों के लिये कृपा से सने हुए द्रवित संकल्प करने वाले |
546 | चक्रगदाधरः | भक्तों की रक्षा करने के लिये चक्र और गदा आदि दिव्य आयुधों को धारण करने वाले |
908 | चक्री | सुदर्शनचक्र को धारण करने वाले |
995 | चक्री | सुदर्शन चक्र धारण करने वाले |
936 | चतुरस्त्रः | मंगलमूर्ति |
137 | चतुरात्मा | ब्रह्मा, विष्णु, महेश और निराकार ब्रह्म- इन चार स्वरूपों वाले |
769 | चतुरात्मा | मन, बुद्धि, अहंकार और चित्तरूप चार अन्तःकरण वाले |
768 | चतुर्गतिः | सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य, सायुज्यरूप चार परम गतिस्वरूप |
139 | चतुर्दंष्ट्रः | चार दाढ़ों वाले नरसिंहरूप |
766 | चतुर्बाहुः | चार भुजाओं वाले |
770 | चतुर्भावः | धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थों के उत्पत्तिस्थान |
140 | चतुर्भुजः | चार भुजाओं वाले |
765 | चतुर्मूर्तिः | राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघनरूप चार मूर्तियों वाले |
771 | चतुर्वेदवित् | चारों वेदों के अर्थ को भली-भाँति जानने वाले |
138 | चतुर्व्यूहः | उत्पत्ति, स्थिति, नाश और रक्षारूप चार व्यूहवाले |
767 | चतुर्व्यूहः | वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध- इन चार व्यूहों से युक्त |
740 | चन्दनाङ्गदी | चन्दन के लेप और बाजूबंद से सुशोभित |
281 | चन्द्रांशुः | संसारताप से संतप्तचित्त पुरुषों को चन्द्रमा की किरणों के समान आहलादित करने वाले |
746 | चलः | वायुरूप से सर्वत्र गमन करने वाले |
825 | चाणूरान्ध्रनिषूदनः | चाणूर नामक अन्ध्रजाति के वीर मल्ल को मारने वाले |
623 | छिन्नसंशयः | सब प्रकार के संशयों से रहित |
288 | जगतः सेतुः | संसार-सागर को पार कराने के लिये सेतुरूप |
145 | जगदादिजः | जगत् के आदि में हिरण्यगर्भ रूप से स्वयं उत्पन्न होने वाले |
947 | जनजन्मादिः | जन्म लेने वालों के जन्म के मूल कारण |
946 | जननः | प्राणिमात्र को उत्पन्न करने वाले |
126 | जनार्दनः | भक्तों के द्वारा अभ्युदयनिःश्रेयसरूप परम पुरुषार्थ की याचना किये जाने वाले |
341 | जनेश्वरः | समस्त जीवों के स्वामी |
966 | जन्ममृत्युजरातिगः | जन्म |
509 | जयः | सब पर विजय प्राप्त करने वाले |
798 | जयन्तः | शत्रुओं को पूर्णतया जीतने वाले |
244 | जह्नुः | संहार के समय जीवों का लय करने वाले |
462 | जितक्रोधः | क्रोध पर विजय करने वाले अर्थात् अपने साथ अत्यन्त अनुचित व्यवहार करने वाले पर भी क्रोध न करने वाले |
934 | जितमन्युः | सब प्रकार से क्रोध को जीत लेने वाले |
524 | जितामित्रः | रावण-शिशुपालादि शत्रुओं को जीतने वाले |
513 | जीवः | क्षेत्रज्ञरूप से प्राणों को धारण करने वाले |
930 | जीवनः | समस्त प्रजा को प्राणरूप से जीवित रखने वाले |
148 | जेता | स्वभाव से ही समस्त भूतों को जीतने वाले |
497 | ज्ञानगम्यः | ज्ञान के द्वारा जानने में आने वाले |
454 | ज्ञानमुत्तमम् | सर्वोत्कृष्ट ज्ञानस्वरूप |
67 | ज्येष्ठः | सबके कारण होने से सबसे बडे़ |
877 | ज्योतिः | स्वयंप्रकाशस्वरूप |
564 | ज्योतिरादित्यः | सूर्यमण्डल में विराजमान ज्योतिःस्वरूप |
619 | ज्योतिर्गणेश्वरः | नक्षत्रसमुदायों के ईश्वर |
731 | तत् | विस्तार कने वाले |
963 | तत्त्वम् | यथार्थ तत्त्वरूप |
964 | तत्त्ववित् | यथार्थ तत्त्व को पूर्णतया जानने वाले |
785 | तन्तुवर्धनः | पूर्वोक्त जगत्-तन्तु को बढ़ाने वाले |
338 | तारः | जन्म-जरा-मृत्युरूप भय से तारने वाले |
968 | तारः | संसार-सागर से पार उतारने वाले |
337 | तारणः | संसारसागर से तारने वाले |
691 | तीर्थकरः | समस्त विद्याओं के रचयिता और उपदेशकर्ता |
391 | तुष्टः | एकमात्र परमानन्दस्वरूप |
757 | तेजोवृषः | अपने भक्तों पर आनन्दमय तेज की वर्षा करने वाले |
61 | त्रिककुब्धाम | ऊपर-नीचे और मध्यभेदवाली तीनों दिशाओं के आश्रयरूप |
535 | त्रिदशाध्यक्षः | देवताओं के स्वामी |
534 | त्रिपदः | त्रिलोकीरूप तीन पैरों वाले विश्वरूप |
751 | त्रिलोकधृक् | तीनों लोकों को धारण करने वाले |
646 | त्रिलोकात्मा | अन्तर्यामीरूप से तीनों लोकों के आत्मा |
647 | त्रिलोकेशः | तीनों लोकों के स्वावमी |
530 | त्रिविक्रमः | तीन डग में तीनों लोकों को नापने वाले |
574 | त्रिसामा | देवव्रत आदि तीन साम श्रुतियों द्वारा जिनकी स्तुति की जाती है- ऐसे परमेश्वर |
52 | त्वष्टा | संहार के समय सम्पूर्ण प्राणियों को क्षीण करने वाले |
423 | दक्षः | सब कार्यों को बड़ी कुशलता से करने वाले |
917 | दक्षः | सब प्रकार से समृद्ध, परमशक्तिशाली और क्षणमात्र में बड़े-से-बड़ा कार्य कर देने वाले महान कार्यकुशल |
918 | दक्षिणः | संहारकारी |
859 | दण्डः | दमन करने वालों की दमनशक्ति |
861 | दमः | दण्ड का कार्य यानि जिनको दण्ड दिया जाता है, उनका सुधार |
190 | दमनः | प्रमाद करने वाली प्रजा को यम आदि के रूप से दमन करने वाले |
860 | दमयिता | यम और राजा आदि के रूप में दमन करने वाले |
713 | दर्पदः | अपने भक्तों को विशुद्ध उत्साह प्रदान करने वाले |
712 | दर्पहा | धर्मविरुद्ध मार्ग में चलने वालों के घमण्ड को नष्ट करने वाले |
367 | दामोदरः | यशोदाजी द्वारा रस्सी से बँधे हुए उदरवाले |
569 | दारुणः | सन्मार्गविरोधियों के लिये महान् भयंकर |
511 | दाशार्हः | दाशार्हकुल में प्रकट होने वाले |
571 | दिविस्पृक् | स्वर्गलोक तक व्याप्त |
940 | दिशः | वेदरूप से समस्त कर्मों का फल बतलाने वाले |
719 | दीप्तमूर्तिः | स्वेच्छा से धारण किये हुए देदीप्यमान स्वरूप से युक्त |
776 | दुरतिक्रमः | जिनकी आज्ञा का कोई उल्लंघन नहीं कर सके, ऐसे |
81 | दुराधर्षः | किसी से भी तिरस्कृत न हो सकने वाले |
781 | दुरारिहा | दुष्ट मार्ग में चलने वाले दैत्यों का वध करने वाले |
780 | दुरावासः | बड़ी कठिनता से योगीजनों द्वारा हृदय में बसाये जाने वाले |
779 | दुर्गः | कठिनता से प्राप्त होने वाले |
778 | दुर्गमः | कठिनता से जानने में आने वाले |
775 | दुर्जयः | किसी से भी जीतने में न आने वाले |
266 | दुर्धरः | ध्यान द्वारा कठिनता से धारण किये जा सकने वाले |
715 | दुर्धरः | बड़ी कठिनता से हृदय में धारित होने वाले |
205 | दुर्मर्षणः | किसी से भी सहन नहीं किये जा सकने वाले |
777 | दुर्लभः | बिना भक्ति के प्राप्त न होने वाले |
924 | दुष्कृतिहा | पापों का और पापियों का नाश करने वाले |
926 | दुःस्वप्ननाशनः | ध्यान, स्मरण, कीर्तन और पूजन करने से बुरे स्वप्नों का नाश करने वाले |
551 | दृढः | अपने स्वरूप और सामर्थ्य से कभी भी च्युत न होने वाले |
714 | दृप्तः | नित्यानन्दमग्न |
375 | देवः | प्रकाशस्वरूप |
989 | देवकीनन्दनः | देवकीपुत्र |
493 | देवभृद्गुरुः | देवों का विशेष रूप से भरण-पोषण करने वाले उनके परम गुरु |
492 | देवेशः | समस्त देवों के स्वामी |
758 | द्युतिधरः | परम कान्ति को धारण करने वाले |
570 | द्रविणप्रदः | अर्थार्थी भक्तों को धन-सम्पत्ति प्रदान करने वाले |
660 | धनञ्जयः | अर्जुनरूप से दिग्विजय के समय बहुत- सा धन जीतकर लाने वाले |
857 | धनुर्धरः | धनुषधारी श्रीराम |
858 | धनुर्वेदः | धनुर्विद्या को जानने वाले श्रीराम |
474 | धनेश्वरः | सब प्रकार के धनों के स्वामी |
754 | धन्यः | नित्य कृतकृत्य होने के कारण सर्वथा धन्यवाद के पात्र |
76 | धन्वी | शार्गंधनुष रखने वाले |
235 | धरणीधरः | वराह और शेषरूप से पृथ्वी को धारण करने वाले |
756 | धराधरः | अनन्त भगवान् के रूप से पृथ्वी को धारण करने वाले |
403 | धर्मः | धर्मस्वरूप |
476 | धर्मकृत् | धर्म की स्थापना करने के लिये स्वयं धर्म का आचरण करने वाले |
475 | धर्मगुप् | धर्म की रक्षा करने वाले |
438 | धर्मयूपः | धर्म के स्तम्भरूप |
404 | धर्मविदुत्तमः | समस्त धर्मवेत्ताओं में उत्तम |
135 | धर्माध्यक्षः | अनुरूप फल देने के लिये धर्म ओर अधर्म का निर्णय करने वाले |
477 | धर्मी | सम्पूर्ण धर्मों के आधार |
43 | धाता | विश्व को धारण करने वाले |
45 | धातुरूत्तमः | कार्य-कारणरूप सम्पूर्ण प्रपंच को धारण करने वाले एवं सर्वश्रेष्ठ |
211 | धाम | सम्पूर्ण जगत के आश्रय |
329 | धुर्यः | समस्त भूतों के जन्मादिरूप धुर को धारण करने वाले |
160 | धृतात्मा | जन्मादि से रहित रहकर स्वेचछा से स्वरूप धारण करने वाले |
388 | ध्रुवः | अचल स्वरूप |
440 | नक्षत्रनेमिः | समस्त नक्षत्रों के केन्द्रस्वरूप |
441 | नक्षत्री | चन्द्ररूप |
528 | नन्दः | सम्पूर्ण ऐश्वर्यों से सम्पन्न |
994 | नन्दकी | नन्दक नामक खड्ग धारण करने वाले |
527 | नन्दनः | सबको प्रसन्न करने वाले |
618 | नन्दिः | परमानन्दस्वरूप |
399 | नयः | सबको नियम में रखने वाले |
246 | नरः | भक्तों को परमधाम में ले जाने वाले |
312 | नहुषः | भूतों को माया से बाँधने वाले |
21 | नारसिंहवपुः | मनुष्य और सिंह दोनों के-जैसाशरीर धारण करने वाले नरसिंहरूप |
245 | नारायणः | जल में शयन करने वाले |
761 | निग्रहः | सबका निग्रह करने वाले |
30 | निधिरव्ययः | प्रलयकाल में सब प्राणियों के लीन होने के लिये अविनाशी स्थानरूप |
214 | निमिषः | योगनिद्रा से मुँदे हुए नेत्रों वाले |
864 | नियन्ता | सबको अपने-अपने कर्तव्य में नियुक्त करने वाले |
161 | नियमः | प्रजा को अपने-अपने अधिकारों में नियमित करने वाले |
840 | निर्गुणः | सत्त्व, रज और तम- इन तीनों गुणों से अतीत |
577 | निर्वाणम् | परमशान्ति के निधान परमानन्दस्वरूप |
229 | निवृत्तात्मा | संसारबन्धन से नित्य मुक्तस्वरूप |
597 | निवृत्तात्मा | स्वभाव से ही विषय-वासनारहित नित्य शुद्ध मनवाले |
583 | निष्ठा | सबकी स्थिति के आधार अधिष्ठानस्वरूप |
222 | नेता | जगत् रूप यन्त्र को चलाने वाले |
398 | नेयः | उत्तम ज्ञान से ग्रहण करने योग्य |
726 | नैकः | अवतार-भेद से अनेक |
469 | नैककर्मकृत् | जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलयरूप तथा भिन्न-भिन्न अवतारों में मनोहर लीलारूप अनेक कर्म करने वाले |
890 | नैकजः | धर्मरक्षा, साधुरक्षा आदि परम विशुद्ध हेतुओं से स्वेच्छापूर्वक अनेक जन्म धारण करने वाले |
302 | नैकमायः | अनेक मायाओं को धारण करने वाले |
271 | नैकरूपः | अनेक रूपधारी |
763 | नैकश्रृंगः | नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपातरूप चार सींगों को धारण करने वाले शब्दब्रह्मस्वरूप |
468 | नैकात्मा | प्रत्येक युग में लोकोद्धार के लिये अनेक रूप धारण करने वाले |
822 | न्यग्रोधः | वटवृक्षरूप |
221 | न्यायः | प्रमाणों के आश्रयभूत तर्क की मूर्ति |
958 | पणः | यथायोग्य व्यवहार करने वाले |
732 | पदमनुत्तमम् | मुमुक्षु पुरुषों द्वारा प्राप्त किये जाने योग्य अत्युत्तम परमपदस्वरूप |
348 | पद्मगर्भः | हृदयकमल में ध्यान करने योग्य |
346 | पद्मनाथः | हृदय-कमल के मध्य निवास करने वाले |
48 | पद्मनाभः | जगत के कारणरूप कमल को अपनी नाभि में स्थान देने वाले |
196 | पद्मनाभः | कमल के समान सुन्दर नाभिवाले |
345 | पद्मनिभेक्षणः | कमल के समान कोमल दृष्टिवाले |
344 | पद्मी | अपने हाथ में कमल धारण करने वाले |
390 | परमस्पष्टः | ज्ञानस्वरूप होने से परम स्पष्ट रूप |
11 | परमात्मा | परमश्रेष्ठ नित्यशुद्ध-बुद्ध-मुक्तस्वभाव |
377 | परमेश्वरः | सर्वश्रेष्ठ शासन करने वाले |
419 | परमेष्ठी | अपने प्रकृष्ट महिमा में स्थित रहने के स्वभाववाले |
389 | परर्द्धिः | श्रेष्ठ विभूतिवाले |
585 | परायणम् | मुमुक्षु पुरुषों के परम प्राप्य-स्थान |
420 | परिग्रहः | शरणार्थियों के द्वारा सब ओर से ग्रहण किये जाने वाले |
810 | पर्जन्यः | बादल की भाँति समस्त इष्ट वस्तुओं की वर्षा करने वाले |
931 | पर्यवस्थितः | समस्त विश्व को व्याप्त करके स्थित रहने वाले |
291 | पवनः | वायुरूप |
62 | पवित्रम् | सबको पवित्र करने वाले |
992 | पापनाशनः | स्मरण, कीर्तन |
292 | पावनः | जगत् को पवित्र करने वाले |
811 | पावनः | स्मरण मात्र से पवित्र करने वाले |
111 | पुण्डरीकाक्षः | कमल के समान नेत्रों वाले |
687 | पुण्यः | स्मरणमात्र से पापों का नाश करने वाले पुण्यस्वरूप |
925 | पुण्यः | स्मरण आदि करने वाले समस्त पुरुषों को पवित्र कर देने वाले |
688 | पुण्यकीर्तिः | परमपावन कीर्तिवाले |
922 | पुण्यश्रवणकीर्तनः | जिनके नाम, गुण, महिमा और स्वरूप का श्रवण ओर कीर्तन परम पावन हैं |
150 | पुनर्वसुः | पुनः-पुनः अवतार-शरीरों में निवास करने वाले |
335 | पुरंदरः | असुरों के नगरों का ध्वंस करने वाले |
498 | पुरातनः | सदा एकरस रहने वाले, सबके आदि पुराणपुरुष |
14 | पुरुषः | पुर अर्थात शरीर में शयन करने वाले |
406 | पुरुषः | विश्वरूप शरीर में शयन करने वाले |
24 | पुरुषोत्तमः | क्षर और अक्षर- इन दोनों से सर्वथा उत्तम |
506 | पुरूजित् | बहुतों को विजय लाभ करने वाले |
507 | पुरूसत्तमः | विश्वरूप और अत्यन्त श्रेष्ठ |
40 | पुष्कराक्षः | कमल के समान नेत्र वाले |
556 | पुष्कराक्षः | कमल के समान नेत्र वाले |
392 | पुष्टः | एकमात्र सर्वत्र परिपूर्ण |
952 | पुष्पहासः | पुष्प की भाँति विकसित हास्यवाले |
10 | पूतात्मा | पवित्रात्मा |
686 | पूरयिता | अपने भक्तों को सब प्रकार से परिपूर्ण करने वाले |
685 | पूर्णः | समस्त ज्ञान, शक्ति, ऐश्वर्य और गुणों से परिपूर्ण |
410 | पृथुः | विराट रुप से विस्तृत होने वाले |
916 | पेशलः | मन, वाणी और कर्म-सभी दृष्टियों से सुन्दर होने के कारण परम सुन्दर |
274 | प्रकाशनः | सबको प्रकाशित करने वाले |
276 | प्रकाशात्मा | प्रकाशरूप |
760 | प्रग्रहः | भक्तों के द्वारा अर्पित पत्र-पुष्पादि को ग्रहण करने वाले |
953 | प्रजागरः | भली प्रकार जाग्रत रहने वाले नित्यप्रबुद्ध |
69 | प्रजापतिः | ईश्वररूप से सारी प्रजाओं के स्वामी |
197 | प्रजापतिः | सम्पूर्ण प्रजाओं के पालनकर्ता |
89 | प्रजाभवः | सारी प्रजा को उत्पन्न करने वाले |
409 | प्रणवः | ओंकारस्वरूप |
957 | प्रणवः | ऊँकारस्वरूप |
59 | प्रतर्दनः | प्रलयकाल में प्राणियों का संहार करने वाले |
277 | प्रतापनः | सूर्य आदि अपनी विभूतियों से विश्व को तप्त करने वाले |
326 | प्रतिष्ठितः | अपनी महिमा में स्थित |
93 | प्रत्ययः | उत्तम बुद्धि से जानने में आने वाले |
319 | प्रथितः | जगत की उत्पत्ति आदि कर्मों के कारण विख्यात |
640 | प्रद्युम्नः | परम श्रेष्ठ अपार धन से युक्त चतुर्व्यूह में प्रद्युम्नस्वरूप |
20 | प्रधानपुरुषेश्वरः | प्रकृति और पुरुष के स्वामी |
970 | प्रपितामहः | पितामह ब्रह्मा के भी पिता |
34 | प्रभवः | उत्कृष्ट (दिव्य) जन्म वाले |
35 | प्रभुः | सबके स्वामी |
299 | प्रभुः | सर्वसामर्थ्यवान |
60 | प्रभूतः | ज्ञान, ऐश्वर्य आदि गुणों से सम्पन्न |
428 | प्रमाणम् | ज्ञानस्वरूप होने के कारण स्वयं प्रमाणरूप |
959 | प्रमाणम् | स्वतःसिद्ध होने से स्वयं प्रमाणस्वरूप |
525 | प्रमोदनः | स्मरणमात्र से नित्य प्रमुदित करने वाले |
237 | प्रसन्नात्मा | प्रसन्न स्वभाव वाले |
845 | प्राग्वंशः | जिनसे समस्त वंश-परम्परा आरम्भ हुई है- ऐसे समस्त पूर्वजों के भी पूर्वज आदिपुरुष |
66 | प्राणः | प्राणस्वरूप |
320 | प्राणः | हिरण्यगर्भरूप से प्रजा को जीवित रखने वाले |
407 | प्राणः | प्राणवायुरूप से चेष्टा करने वाले |
962 | प्राणजीवनः | प्राणवायु के संचार से प्राणियों को जीवित रखने वाले |
65 | प्राणदः | सबके प्राणदाता |
321 | प्राणदः | सबका भरण-पोषण करने वाले |
408 | प्राणदः | सर्ग के आदि में प्राण प्रदान करने वाले |
956 | प्राणदः | परीक्षित आदि मरे हुओं को भी जीवन देने वाले |
960 | प्राणनिलयः | प्राणों के आधारभूत |
961 | प्राणभृत् | समस्त प्राणों का पोषण करने वाले |
153 | प्रांसुः | तीनों लोकों को लाँघने के लिये त्रिविक्रमरूप से ऊँचे होने वाले |
874 | प्रियकृत् | भजने वालों का प्रिय करने वाले |
872 | प्रियार्हः | अत्यन्त प्रिय वस्तु समर्पण करने के लिये योग्य पात्र |
875 | प्रीतिवर्धनः | अपने प्रेमियों के प्रेम को बढ़ाने वाले |
116 | बभ्रुः | लोकों का भरण करने वाले |
115 | बहुशिराः | बहुत से सिरों वाले |
429 | बीजमव्ययम् | संसार के अविनाशी कारण |
836 | बृहत् | सबसे बड़े |
333 | बृहद्भानुः | महान् किरणों से युक्त एवं सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करने वाले सूर्यरूप |
272 | बृहद्रूपः | विश्वरूपधारी |
664 | ब्रह्म | सच्चिदानन्दस्वरूप |
662 | ब्रह्मकृत् | पूर्वोक्त तप आदि की रचना करने वाले |
669 | ब्रह्मज्ञः | अपने आत्मस्वरूप ब्रह्मशब्दवाची वेद को पूर्णतया यथार्थ जानने वाले |
661 | ब्रह्मण्यः | तप, वेद, ब्राह्मण और ज्ञान की रक्षा करने वाले |
666 | ब्रह्मवित् | वेद और वेदार्थ को पूर्णतया जानने वाले |
665 | ब्रह्मविवर्धनः | पूर्वोक्त ब्रह्मशब्दवाची तप आदि की वृद्धि करने वाले |
663 | ब्रह्मा | ब्रह्मारूप से जगत् को उत्पन्न करने वाले |
668 | ब्रह्मी | ब्रह्मशब्दवाची तपादि समस्त पदार्थों के अधिष्ठान |
667 | ब्राह्मणः | समस्त वस्तुओं को ब्रह्मरूप से देखने वाले |
670 | ब्राह्मणप्रियः | ब्राह्मणों को अतिशय प्रिय मानने वाले |
736 | भक्तवत्सलः | भक्तों से प्रेम करने वाले |
558 | भगवान् | उत्पत्ति और प्रलय, आना और जाना तथा विद्या और अविद्या को जानने वाले एवं सर्वैश्वर्यादि छहों भगों से युक्त |
559 | भगहा | अपने भक्तों का प्रेम बढ़ाने के लिये उनके ऐश्वर्य का हरण करने वाले |
833 | भयकृत् | दुष्टों को भयभीत करने वाले |
834 | भयनाशनः | स्मरण करने वालों के और सत्पुरुषों के भय का नाश करने वाले |
935 | भयापहः | भक्तभयहारी |
33 | भर्ता | सबका भरण करने वाले |
284 | भानुः | भासने वाले |
847 | भारभृत् | शेषनाग आदि के रूप में पृथ्वी का भार उठाने वाले और अपने भक्तों के योगक्षेमरूप भार को वहन करने वाले |
7 | भावः | नित्यस्वरूप होते हुए भी स्वतः उत्पन्न होने वाले |
32 | भावनः | समस्त भोक्ताओं के फलों को उत्पन्न करने वाले |
282 | भास्करद्युतिः | सूर्य के समान प्रकाशस्वरूप |
579 | भिषक् | संसार रोग का नाश करने के लिये गीतारूप उपदेशामृत का पान कराने वाले परम वैद्य |
357 | भीमः | जिससे पापियों को भय हो ऐसे भयानक |
948 | भीमः | दुष्टों को भय देने वाले |
949 | भीमपराक्रमः | अतिशय भय उत्पन्न करने वाले |
193 | भुजगोत्तमः | सर्पों में श्रेष्ठ शेषनागरूप |
71 | भूगर्भः | पृथ्वी को गर्भ में रखने वाले |
5 | भूतकृत् | रजोगुण को स्वीकार करके ब्रह्मारूप से सम्पूर्ण भूतों की रचना करने वाले |
4 | भूतभव्यभवत्प्रभुः | भूत, भविष्य और वर्तमान के स्वामी |
290 | भूतभव्यभवन्नाथः | भूत, भविष्य और वर्तमान के स्वामी |
9 | भूतभावनः | भूतों की उत्पत्ति और वृद्धि करने वाले |
6 | भूतभृत् | सत्त्वगुण को स्वीकार करके सम्पूर्ण भूतों का पालन-पोषण करने वाले |
489 | भूतमहेश्वरः | सम्पूर्ण प्राणियों के महान् ईश्वर |
8 | भूतात्मा | सम्पूर्ण भूतों के आत्मा |
29 | भूतादिः | भूतों के आदिकारण |
708 | भूतावासः | समस्त प्राणियों के मुख्य निवास-स्थान |
630 | भूतिः | समस्त विभूतियों के आधारस्वरूप |
502 | भूरिदक्षिणः | श्रीरामादि अवतारों में यज्ञ करते समय बहुत सी दक्षिणा प्रदान करने वाले |
942 | भूर्भुवः | पृथ्वी के भी आधार |
967 | भूर्भुवः स्वस्तरूः | ‘भूः भुवः स्वः’ तीनों लोकों वाले, संसारवृक्षस्वरूप |
628 | भूशयः | लंकागमन के लिये मार्ग की याचना करते समय समुद्रतट की भूमि पर शयन करने वाले |
629 | भूषणः | स्वेच्छा से नानाअवतार लेकर अपने चरण-चिह्नों से भूमि की शोभा बढ़ाने वाले |
578 | भेषजम् | संसार-रोग की औषधि |
143 | भोक्ता | पुरुषरूप से भोक्ता |
500 | भोक्ता | निरतिशय आनन्दपुंज को भोगने वाले |
888 | भोक्ता | जगत का पालन करने वाले |
142 | भोजनम् | ज्ञानियों द्वारा भोगने योग्य अमृतस्वरूप |
141 | भ्राजिष्णुः | एकरस प्रकाशस्वस्प |
63 | मङ्गलं परम् | परम मंगलस्वरूप |
168 | मधुः | अमृत की तरह सबको प्रसन्न करने वाले |
73 | मधुसूदनः | मधुनामक दैत्य को मारने वाले |
51 | मनुः | प्रजापति मनुरूप |
690 | मनोजवः | मन की भाँति वेगवाले |
461 | मनोहरः | अपने रूप लावण्य और मधुर भाषणादि से सबके मन को हरने वाले |
280 | मन्त्रः | ऋक्, साम और यजु के मन्त्रस्वरूप |
189 | मरीचिः | तेजस्वियों के भी परम तेजरूप |
350 | महर्द्धिः | महान् विभूतिवाले |
531 | महर्षिः कपिलाचार्यः | सांख्यशास्त्र के प्रणेता भगवान कपिलाचार्य |
672 | महाकर्मा | भिन्न-भिन्न अवतारों में नाना प्रकार के महान् कर्म करने वाले |
787 | महाकर्मा | बड़े-बड़े कर्म करने वाले |
432 | महाकोशः | बड़े खजाने वाले |
675 | महाक्रतुः | महान यज्ञस्वरूप |
671 | महाक्रमः | बड़े वेग से चलने वाले |
353 | महाक्षः | विशाल नेत्रों वाले |
804 | महागर्तः | महान रथवाले |
122 | महातपाः | प्रताप (प्रभाव) रूप महान् तपवाले |
673 | महातेजाः | जिसके तेज से समस्त सूर्य आदि तेजस्वी देदीप्यमान होते हैं- ऐसे महान् तेजस्वी |
491 | महादेवः | ज्ञानयोग और वेश्वर्य आदि महिमाओं से युक्त |
176 | महाद्युतिः | महान कान्तिमान् |
180 | महाद्रिधृक् | अमृतमन्थन और गोरक्षण के समय मन्दराचल और गोवर्धन नामक महान् पर्वतों को धारण करने वाले |
434 | महाधनः | अतिशय यथार्थ धनस्वरूप |
806 | महानिधिः | सबके महान् निवास-स्थान |
841 | महान् | गुण, प्रभाव, ऐश्वर्य और ज्ञान आदि की अतिशयता के कारण परम महत्त्वसम्पन्न |
172 | महाबलः | महान बलशाली |
173 | महाबुद्धिः | महान बुद्धिमान |
370 | महाभागः | महान भाग्यशाली |
805 | महाभूतः | त्रिकाल में कभी नष्ट न होने वाले महाभूतस्वरूप |
433 | महाभोगः | यथार्थ सुखरूप महान् भोगवाले |
439 | महामखः | महान यज्ञस्वरूप |
557 | महामनाः | संकल्पमात्र से उत्पत्ति |
170 | महामायः | मायावियों पर भी माया डालने वाले, महान् मायावी |
718 | महामूर्तिः | बड़े रूपवाले |
677 | महायज्ञः | जपयज्ञ आदि भगवत्प्राप्ति के साधन रूप समस्त यज्ञ जिनकी विभूतियाँ हैं- ऐसे महान यज्ञस्वरूप |
676 | महायज्वा | लोकसंग्रह के लिये बडे़-बड़े यज्ञों का अनुष्ठान करने वाले |
522 | महार्हः | पूजनीय |
538 | महावराहः | हिरण्याक्ष का वध करने के लिये महावराहरूप धारण करने वाले |
174 | महावीर्यः | महान पराक्रमी |
175 | महाशक्तिः | महान सामर्थ्यवान् |
303 | महाशनः | कल्प के अन्त में सबको ग्रसन करने वाले |
536 | महाश्रृंगः | मत्स्यावतार में महान् सींग धारण करने वाले |
41 | महास्वनः | वेदरूप अत्यन्त महान् घोषवाले |
678 | महाहविः | ब्रह्मरूप अग्नि में हवन किये जाने योग्य प्रपन्चरूप हवि जिनका स्वरूप है- ऐसे महान् हविःस्वरूप |
803 | महाहृदः | ध्यान करने वाले जिसमें गाता लगाकर आनन्द में मग्न होते हैं,ऐसे परमानन्द के महान सरोवर |
317 | महीधरः | पृथ्वी को धारण करने वाले |
369 | महीधरः | पृथ्वी को धारण करने वाले |
182 | महीभर्ता | पृथ्वी को धारण करने वाले |
447 | महेज्यः | सबसे अधिक उपासनीय |
268 | महेन्द्रः | ईश्वरों के भी ईश्वर |
181 | महेष्वासः | महान धनुषवाले |
171 | महोत्साहः | जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के लिये तत्पर रहने वाले परम उत्साही |
519 | महोदधिशयः | प्रलयकाल के महान् समुद्र में शयन करने वाले |
674 | महोरगः | बड़े भारी सर्प यानि वासुकिस्वरूप |
72 | माधवः | लक्ष्मी के पति |
167 | माधवः | विद्या के स्वामी |
735 | माधवः | मधुकुल में उत्पन्न होने वाले |
748 | मानदः | दूसरों को मान देने वाले |
749 | मान्यः | सबके पूजने योग्य माननीय |
365 | मार्गः | परमानन्दप्राप्ति के साधन-स्वरूप |
397 | मार्गः | मुमुक्षुजनों के अमर होने के साधनस्वरूप |
515 | मुकुन्दः | मुक्तिदाता |
12 | मुक्तानां परमा गतिः | मुक्त पुरुषों की सर्वश्रेष्ठ गतिस्वरूप |
533 | मेदिनीपतिः | पृथ्वी के स्वामी |
753 | मेधजः | यज्ञ में प्रकट होने वाले |
77 | मेधावी | अतिशय बुद्धिमान |
445 | यज्ञः | भगवान विष्णु |
971 | यज्ञः | यज्ञस्वरूप |
977 | यज्ञकृत् | यज्ञों के रचयिता |
982 | यज्ञगुह्यम् | यज्ञों में गुप्त निष्काम यज्ञस्वरूप |
972 | यज्ञपतिः | समस्त यज्ञों के अधिष्ठाता |
979 | यज्ञभुक् | समस्त यज्ञों के भोक्ता |
976 | यज्ञभृत् | यज्ञों को धारण करने वाले |
975 | यज्ञवाहनः | यज्ञों को चलाने वाले |
980 | यज्ञसाधनः | ब्रह्मयज्ञ, जपयज्ञ आदि बहुत से यज्ञ जिनकी प्राप्ति के साधन हैं ऐसे |
974 | यज्ञाङ्गः | समस्त यज्ञरूप अंगों वाले, वाराहस्वरूप |
981 | यज्ञान्तकृत् | यज्ञों का फल देने वाले |
978 | यज्ञी | समस्त यज्ञ जिसमें समाप्त होते हैं- ऐसे यज्ञशेषी |
973 | यज्वा | यजमानरूप से यज्ञ करने वाले |
730 | यत् | स्वतःसिद्ध |
705 | यदुश्रेष्ठः | यदुवंशियों में सर्वश्रेष्ठ |
162 | यमः | अन्तःकरण में स्थित होकर नियमन करने वाले |
300 | युगादिकृत् | युगादि का आरम्भ करने वाले |
301 | युगावर्तः | चारों युगों को चक्र के समान घुमाने वाले |
18 | योगः | मनसहित सम्पूर्ण ज्ञानेन्द्रियों के निरोधरूप योग से प्राप्त होने वाले |
19 | योगविदां नेता | योग को जानने वाले भक्तों के स्वामी |
849 | योगी | नित्य समाधियुक्त |
850 | योगीशः | समस्त योगियों के स्वामी |
928 | रक्षणः | सब प्रकार से रक्षा करने वाले |
684 | रणप्रियः | युद्ध में प्रेम करने वाले |
473 | रत्नगर्भः | रत्नों को अपने गर्भ में धारण करने वाले समुद्ररूप |
793 | रत्ननाभः | रत्न के समान सुन्दर नाभिवाले |
998 | रथाङ्गपाणिः | भीष्म की प्रतिज्ञा रखने के लिये सुदर्शन चक्र को हाथ में धारण करने वाले श्रीकृष्ण |
881 | रविः | समस्त रसों का शोषण करने वाले सूर्य |
885 | रविलोचनः | सूर्यरूप नेत्रों वाले |
394 | रामः | योगीजनों के रमन करने के लिये नित्यानन्दस्वरूप |
945 | रुचिराङ्गदः | परम रुचिकर कल्याणमय बाजूबंदों को धारण करने वाले |
114 | रुद्रः | दुख के कारण को दूर भगा देने वाले |
364 | रोहितः | मत्स्यविशेष का स्वरूप धारण करके अवतार लेने वाले |
943 | लक्ष्मीः | समस्त शोभायमान वस्तुओं की शोभास्वरूप |
361 | लक्ष्मीवान् | अपने वक्षःस्थल में लक्ष्मी जी को सदा बसाने वाले |
614 | लोकत्रयाश्रयः | तीनों लोकों के आधार |
734 | लोकनाथः | सबके द्वारा याचना किये जाने योग्य लोकस्वामी |
733 | लोकबन्धुः | समस्त प्राणियों के हित करने वाले परम मित्र |
783 | लोकसारङ्गः | लोकों के सार को ग्रहण करने वाले |
750 | लोकस्वामी | चौदह भुवनों के स्वामी |
894 | लोकाधिष्ठानम् | समस्त लोकों के आधार |
133 | लोकाध्यक्षः | समस्त लोकों के अधिपति |
58 | लोहिताक्षः | लाल नेत्रों वाले |
470 | वत्सरः | सबके निवास स्थान |
471 | वत्सलः | भक्तों के परम स्नेही |
472 | वत्सी | वृन्दावन में बछड़ों का पालन करने वाले |
561 | वनमाली | वैजयन्ती वनमाला धारण करने वाले |
330 | वरदः | इच्छित वर देने वाले |
739 | वराङ्गः | परम श्रेष्ठ अंग-प्रत्यंगों वाले |
121 | वरारोहः | आरूढ़ होने के लिये परम उत्तम अपुनरावृत्तिस्थानरूप |
553 | वरुणः | जल के स्वामी वरुणदेवता |
261 | वर्धनः | भक्तों को बढ़ाने वाले |
262 | वर्धमानः | संसाररूप से बढ़ने वाले |
846 | वंशवर्धनः | जगत्-प्रपंचरूप वंश को ओर यादव वंश को बढ़ाने वाले |
3 | वषट्कारः | जिनके उद्देश्य से यज्ञ में वषट क्रिया की जाती है, ऐसे यज्ञस्वरूप |
104 | वसुः | सब भूतों के वासस्थान |
270 | वसुः | धनरूप |
696 | वसुः | सबके अन्तःकरण में निवास करने वाले |
269 | वसुदः | धन देने वाले |
693 | वसुप्रदः | प्रचुर धन प्रदान करने वालजे |
694 | वसुप्रदः | अपने भक्तों को मोक्षरूप महान धन देने वाले |
105 | वसुमनाः | उदार मनवाले |
697 | वसुमनाः | समानभाव से सब में निवास करने की शक्ति से युक्त मनवाले |
692 | वसुरेताः | हिरण्यमय पुरुष (प्रथम पुरुषसृष्टि का बीज) जिनका वीर्य है- ऐसे सुवर्णवीर्य |
233 | वह्निः | हवि को वहन करने वाले अग्निदेव |
267 | वाग्मी | वेदमयी वाणी को उत्पन्न करने वाले |
573 | वाचस्पतिरयोनिजः | विद्या के स्वामी तथा बिना योनि के स्वयं ही प्रकट होने वाले |
217 | वाचस्पतिरूदारधीः | सारे पदार्थों को प्रत्यक्ष करने वाली बुद्धि से युक्त समस्त विद्याओं के पति |
796 | वाजसनः | याचकों को अन्न प्रदान करने वाले |
152 | वामनः | वामनरूप से अवतार लेने वाले |
414 | वायुः | पवनरूप |
331 | वायुवाहनः | सारे वायुभेदों को चलाने वाले |
856 | वायुवाहनः | वायु को गमन करने के लिये शक्ति देने वाले |
554 | वारूणः | वरुण के पुत्र वशिष्ठस्वरूप |
322 | वासवानुजः | वामनावतार में इन्द्र के अनुजरूप में उत्पन्न होने वाले |
332 | वासुदेवः | सब भूतों में सर्वात्मारूप से बसने वाले |
695 | वासुदेवः | वसुदेव पुत्र श्रीकृष्ण |
709 | वासुदेवः | अपनी माया से जगत को आच्छादित करने वाले परमदेव |
381 | विकर्ता | विचित्र भुवनों की रचना करने वाले |
78 | विक्रमः | गरुड़ पक्षी द्वारा गमन करने वाले |
75 | विक्रमी | शूरवीरता से युक्त |
909 | विक्रमी | सबसे विलक्षण पराक्रमशील |
363 | विक्षरः | नाशरहित |
147 | विजयः | ज्ञान, वैराग्य और ऐश्वर्य आदि गुणों में सबसे बढ़कर |
620 | विजितात्मा | जिते हुए मनवाले |
464 | विदारणः | अधर्मियों को नष्ट करने वाले |
938 | विदिशः | अधिकारियों को उनके कर्मानुसार विभागपूर्वक नाना प्रकार के फल देने वाले |
920 | विद्वत्तमः | विद्वानों में सर्वश्रेष्ठ परम विद्वान |
44 | विधाता | कर्म और उसके फलों की रचना करने वाले |
484 | विधाता | सबको अच्छी प्रकार धारण करने वाले |
508 | विनयः | दुष्टों को दण्ड देने वाले |
514 | विनयितासाक्षी | अपने शरणापन्न भक्तों के विनय- भाव को तत्काल प्रत्यक्ष अनुभव करने वाले |
240 | विभुः | सर्वव्यापी |
880 | विभुः | सर्वव्यापी |
452 | विमुक्तात्मा | सांसारिक बन्धन से नित्यमुक्त आत्मस्वरूप |
396 | विरजः | रजोगुण तथा तमोगुण से सर्वथा शून्य |
395 | विरामः | प्रलय के समय प्राणियों को अपने में विराम देने वाले |
882 | विरोचनः | विविध प्रकार से प्रकाश फैलाने वाले |
263 | विविक्तः | संसार से पृथक् रहने वाले |
249 | विशिष्टः | सबसे उत्कृष्ट |
636 | विशुद्धात्मा | परम शुद्ध निर्मल आत्मस्वरूप |
631 | विशोकः | सब प्रकार से शोकरहित |
637 | विशोधनः | स्मरणमात्र से समस्त पापों का नाश करके भक्तों के अन्तःकरण को परम शुद्ध कर देने वाले |
424 | विश्रामः | विश्राम की इच्छा वाले मुमुक्षुओं को मोक्ष देने वाले |
207 | विश्रुतात्मा | वेदशास्त्रों में प्रसिद्ध स्वरूपवाले |
50 | विश्वकर्मा | सारे जगत की रचना करने वाले |
425 | विश्वदक्षिणः | बलि के यज्ञ में समस्त विश्व को दक्षिणारूप में प्राप्त करने वाले |
238 | विश्वधृक् | जगत को धारण करने वाले |
316 | विश्वबाहुः | सब ओर बाहुओं वाले |
239 | विश्वभुक् | विश्व का पालन करने वाले |
717 | विश्वमूर्तिः | समस्त विश्व ही जिनकी मूर्ति है- ऐसे विराट्स्वरूप |
1 | विश्वम् | विराटस्वरूप |
117 | विश्वयोनिः | विश्व को उत्पन्न करने वाले |
149 | विश्वयोनिः | सबके कारणरूप |
88 | विश्वरेताः | विश्व के कारण |
225 | विश्वात्मा | विश्व के आत्मा |
742 | विषमः | जिनके समान दूसरा कोई नहीं- ऐसे अनुपम |
2 | विष्णुः | सर्वव्यापी |
258 | विष्णुः | शुद्ध सत्त्वमूर्ति |
657 | विष्णुः | शेषशायी भगवान विष्णु |
125 | विष्वक्सेनः | युद्ध के लिये की हुई तैयारी मात्र से ही दैत्यसेना को तितर-बितर कर डालने वाले |
426 | विस्तारः | समस्त लोकों के विस्तार के स्थान |
876 | विहायसगतिः | आकाश में गमन करने वाले |
921 | वीतभयः | सब प्रकार के भय से रहित |
401 | वीरः | पराक्रमशाली |
643 | वीरः | परम शूरवीर |
658 | वीरः | बिना ही पैरों के गमन करने की दिव्य शक्ति से युक्त |
463 | वीरबाहुः | अत्यन्त पराक्रमशील भुजाओं से युक्त |
166 | वीरहा | धर्म की रक्षा के लिये असुर योद्धाओं को मार डालने वाले |
741 | वीरहा | शूरवीर असुरों का नाश करने वाले |
927 | वीरहा | शरणागतों की विविध गतियों का यानि संसार-चक्र का नाश करने वाले |
555 | वृक्षः | अश्वत्थवृक्षरूप |
352 | वृद्धात्मा | पुरातन स्वरूप |
313 | वृषः | कामनाओं को पूर्ण करने वाले धर्मस्वरूप |
112 | वृषकर्मा | धर्ममय कर्म करने वाले |
259 | वृषपर्वा | परमधाम में आरूढ़ होने की इच्छा वालों के लिये धर्मरूप सीढि़यों वाले |
595 | वृषप्रियः | धर्म से प्यार करने वाले |
257 | वृषभः | भक्तों के लिये इच्छित वस्तुओं की वर्षा करने वाले |
594 | वृषभाक्षः | समस्त कामनाओं की वर्षा कने वाली कृपादृष्टि से युक्त |
101 | वृषाकपिः | धर्म और वराहरूप |
113 | वृषाकृतिः | धर्म की स्थापना करने के लिये विग्रह धारण करने वाले |
256 | वृषाही | द्वादशाहादि यज्ञों को अपने में स्थित रखने वाले |
260 | वृषोदरः | अपने उदर में धर्म को धारण करने वाले |
371 | वेगवान् | तीव्रगति वाले |
127 | वेदः | वेदरूप |
128 | वेदवित् | वेद तथा वेद के अर्थ को यथावत् जानने वाले |
131 | वेदवित् | वेदों को विचारने वाले |
130 | वेदाङ्गः | वेदरूप अंगों वाले |
163 | वेद्यः | कल्याण की इच्छा वालों के द्वारा जानने योग्य |
547 | वेधाः | सब कुछ विधान करने वाले |
405 | वैकुण्ठः | परमधामस्वरूप |
987 | वैखानः | पातालवासी हिरण्याक्ष का वध करने के लिये पृथ्वी को खोदने वाले, वाराह-अवतारधारी |
164 | वैद्यः | सब विद्याओं के जानने वाले |
762 | व्यग्रः | अपने भक्तों को अभीष्ट फल देने में लगे हुए |
384 | व्यवसायः | ज्ञानस्वरूप |
385 | व्यवस्थानः | लोकपालादिकों को, समस्त जीवों को, चारों वर्णाश्रमों को एवं उनके धर्मों को व्यवस्थापूर्वक रचने वाले |
939 | व्यादिशः | सबको यथायोग्य विविध आज्ञा देने वाले |
467 | व्यापी | आकाश की भाँति सर्वव्यापी |
413 | व्याप्तः | कारणरूप से सब कार्यों में व्याप्त |
92 | व्यालः | शेषनागस्वरूप |
402 | शक्तिमतां श्रेष्ठः | शक्तिमानों में भी अतिशय शक्तिमान् |
993 | शङ्खभृत् | पाञ्चजन्य शंख को धारण करने वाले |
723 | शतमूर्तिः | सैकड़ों मूर्तियों वाले |
724 | शताननः | सैकड़ों मुखों वाले |
617 | शतानन्दः | लीलाभेद से सैकड़ों विभागों में विभक्त आनन्दस्वरूप |
343 | शतावर्तः | धर्मरक्षा के लिये सैकड़ों अवतार लेने वाले |
412 | शत्रुघ्नः | देवताओं के शत्रुओं को मारने वाले |
820 | शत्रुजित् | देवता और सत्पुरुषों के शत्रुओं को जीतने वाले |
821 | शत्रुतापनः | देव-शत्रुओं को तपाने वाले |
912 | शब्दसहः | कठोर शब्दों को सहने करने वाले |
911 | शब्दातिगः | शब्द की जहाँ पहुँच नहीं, ऐसे वाणी के अविषय |
581 | शमः | उपशमता का उपदेश देने वाले |
38 | शम्भुः | भक्तों के लिये सुख उत्पन्न करने वाले |
86 | शरणम् | दीन-दुखियों के परम आश्रय |
356 | शरभः | शरीरों को प्रत्यगात्मरूप से प्रकाशित करने वाले |
499 | शरीरभूतभृत् | शरीर के उत्पादक पन्चभूतों का प्राणरूप से पालन करने वाले |
349 | शरीरभृत् | अन्नरूप से सबके शरीरों का भरण करने वाले |
87 | शर्म | परमानन्दस्वरूप |
26 | शर्वः | सारी प्रजा का प्रलयकाल में संहार करने वाले |
914 | शर्वरीकरः | ज्ञानियों की रात्रि संसार और अज्ञानियों की रात्रि ज्ञान- इन दोनों को उत्पन्न करने वाले |
285 | शशबिन्दुः | खरगोश के समान चिह्नवाले चन्द्रस्वरूप |
582 | शान्तः | परम शान्तस्वरूप |
584 | शान्तिः | परम शान्तिस्वरूप |
587 | शान्तिदः | परम शान्ति देने वाले |
996 | शार्ङ्गधन्वा | शार्गंधनुषधारी |
56 | शाश्वतः | सब काल में स्थित रहने वाले |
120 | शाश्वतस्थाणुः | नित्य सदा एकरस रहने वाले एवं स्थिर |
627 | शाश्वतस्थिरः | सदा एकरस स्थिर रहने वाले, निर्विकार |
206 | शास्ता | सब पर शासन करने वाले |
311 | शिखण्डी | मयूरपिच्छ को अपना शिरोभूषण बना लेने वाले |
273 | शिपिविष्टः | सूर्यकिरणों में स्थित रहने वाले |
27 | शिवः | तीनों गुणों से परे कल्याणस्वरूप |
600 | शिवः | स्मरणमात्र से पवित्र करने वाले कल्याणस्वरूप |
913 | शिशिरः | त्रितापपीड़ितों को शान्ति देने वाले शीतलमूर्ति |
250 | शिष्टकृत् | श्रेष्ठ बनाने वाले |
310 | शिष्टेष्टः | शिष्ट पुरुषों के इष्टदेव |
155 | शुचिः | स्मरण, स्तुति और पूजन करने वालों को पवित्र कर देने वाले |
251 | शुचिः | परम शुद्ध |
118 | शुचिश्रवाः | पवित्र कीर्तिवाले |
586 | शुभाङ्गः | अति मनोहर परम सुन्दर अंगों वाले |
782 | शुभाङ्गः | कल्याणकारक सुन्दर अंगों वाले |
393 | शुभेक्षणः | दर्शनमात्र से कल्याण करने वाले |
743 | शून्यः | समस्त विशेषणों से रहित |
339 | शूरः | पराक्रमी |
645 | शूरजनेश्वरः | अतिशय शूरवीरता के कारण इन्द्रादि शूरवीरों के भी इष्ट |
704 | शूरसेनः | हनुमानादि श्रेष्ठ शूरवीर योद्धाओं से युक्त सेनावाले |
632 | शोकनाशनः | स्मृतिमात्र से भक्तों के शोक का समूल नाश करने वाले |
340 | शौरिः | शूरवीर श्रीवसुदेवजी के पुत्र |
644 | शौरिः | शूरकुल में उत्पन्न होने वाले श्रीकृष्णस्वरूप |
853 | श्रमणः | दुष्टों को संतप्त करने वाले |
611 | श्रीकरः | स्मरण, स्तवन और अर्चन आदि करने वाले भक्तों के लिये श्री का विस्तार करने वाले |
376 | श्रीगर्भः | सम्पूर्ण ऐश्वर्य को अपने उदर में रखने वाले |
605 | श्रीदः | भक्तों को श्री प्रदान करने वाले |
610 | श्रीधरः | जगज्जननी श्रीको वक्षःस्थल में धारण करने वाले |
608 | श्रीनिधिः | समस्त श्रियों के आधार |
183 | श्रीनिवासः | अपने वक्षःस्थल में श्री को निवास देने वाले |
607 | श्रीनिवासः | श्रीलक्ष्मी जी के अन्तःकरण में नित्य निवास करने वाले |
603 | श्रीपतिः | परमशक्तिरूपा श्रीलक्ष्मी जी के स्वामी |
604 | श्रीमतां वरः | सब प्रकार की सम्पत्ति और ऐश्वर्य से युक्त ब्रह्मादि समस्त लोकपालों से श्रेष्ठ |
178 | श्रीमान् | ऐश्वर्यवान |
220 | श्रीमान् | सबसे बढ़ी-चढ़ी कान्तिवाले |
613 | श्रीमान् | सब प्रकार की श्रियों से युक्त |
22 | श्रीमान् | वक्षःस्थल में सदा श्री को धारण करने वाले |
601 | श्रीवत्सवक्षाः | श्रीवत्स नामक चिह्न को वक्षःस्थल में धारण करने वाले |
602 | श्रीवासः | श्रीलक्ष्मी जी के वासस्थान |
609 | श्रीविभावनः | सब मनुष्यों के लिये उनके कर्मानुसार नाना प्रकार के ऐश्वर्य प्रदान करने वाले |
606 | श्रीशः | लक्ष्मी के नाथ |
264 | श्रुतिसागरः | वेदरूप जल के समुद्र |
797 | श्रृंगी | प्रलयकाल में सींगयुक्त मत्स्यविशेष का रूप धारण करने वाले |
612 | श्रेयः | कल्याणस्वरूप |
68 | श्रेष्ठः | सबमें उत्कृष्ट होने से परम श्रेष्ठ |
552 | संकर्षणोऽच्युतः | प्रलयकाल में एक साथ सबका संहार करने वाले और जिनका कभी किसी भी कारण से पतन न हो सके- ऐसे अविनाशी |
598 | संक्षेप्ता | विस्तृत जगत् को संहारकाल में संक्षिप्त यानि सूक्ष्म करने वाले |
158 | संग्रहः | प्रलय के समय सबको समेट लेने वाले |
184 | सतां गतिः | सत्पुरुषों के परम आश्रय |
450 | सतां गतिः | सत्पुरुषों की परम गति |
478 | सत् | सत्यस्वरूप |
241 | सत्कर्ता | भक्तों का सत्कार करने वाले |
622 | सत्कीर्तिः | सच्ची कीर्तिवाले |
242 | सत्कृतः | पूजितों से भी पूजित |
700 | सत्कृतिः | जगत् की रक्षा आदि सत्कार्य करने वाले |
701 | सत्ता | सदा-सर्वदा विद्यमान सत्तास्वरूप |
867 | सत्त्ववान् | बल, वीर्य, सामर्थ्य आदि समस्त तत्त्वों से सम्पन्न |
487 | सत्त्वस्थः | अन्तर्यामीरूप से समस्त प्राणियों के अन्तःकरण में स्थित रहने वाले |
955 | सत्पथाचारः | सत्पुरुषों के मार्ग का आचरण करने वाले मर्यादापुरुषोत्तम |
703 | सत्परायणः | सत्पुरुषों के परम प्रापणीय स्थान |
106 | सत्यः | सत्यस्वरूप |
212 | सत्यः | सत्यस्वरूप |
869 | सत्यः | सत्यभाषणस्वरूप |
289 | सत्यधर्मपराक्रमः | सत्यस्वरूप धर्म और पराक्रमवाले |
870 | सत्यधर्मपरायणः | यथार्थ भाषण और धर्म के परम आधार |
529 | सत्यधर्मा | धर्मज्ञानादि सब गुणों से युक्त |
213 | सत्यपराक्रमः | अमोघ पराक्रम वाले |
755 | सत्यमेधाः | सच्ची और श्रेष्ठ बुद्धिवाले |
510 | सत्यसंधः | सच्ची प्रतिज्ञा करने वाले |
449 | सत्रम् | सत्पुरुषों की रक्षा करने वाले |
893 | सदामर्षी | सत्पुरुषों पर क्षमा करने वाले |
165 | सदायोगी | सदा योग में स्थित रहने वाले |
699 | सद्गतिः | सत्पुरुषों द्वारा प्राप्त किये जाने योग्य गतिस्वरूप |
702 | सद्भूतिः | बहुत प्रकार से बहुत रूपों में भासित होने वाले |
201 | संधाता | प्राणियों को उनके कर्मों के फलों के संयुक्त करने वाले |
897 | सनातनतमः | सबके कारण होने से ब्रह्मादि पुरुषों की अपेक्षा भी परम पुराणपुरुष |
896 | सनात् | अनन्तकालस्वरूप |
929 | सन्तः | विद्या, विनय और धर्म आदि का प्रचार करने के लिये संतों के रूप में प्रकट होने वाले |
202 | सन्धिमान् | सम्पूर्ण यज्ञ और तपों के फलों को भोगने वाले |
706 | सन्निवासः | सत्पुरुषों के आश्रय |
580 | संन्यासकृत् | मोक्ष के लिये संन्यासाश्रम और संन्यास योग का निर्माण करने वाले |
827 | सप्तजिह्वः | काली, कराली, मनोजवा, सुलोहिता, धूम्रवर्णा, स्फुलिंगिनी और विश्वरुचि- इन सात जिह्वाओं वाले अग्निस्वरूप |
829 | सप्तवाहनः | सात घोड़ों वाले सूर्यरूप |
828 | सप्तैधाः | सात दीप्तिवाले अग्निस्वरूप |
109 | समः | सब समय समस्त विकाकरों से रहित |
358 | समयज्ञः | समभावरूप यज्ञ से सम्पन्न |
107 | समात्मा | सम्पूर्ण प्राणियों में एक आत्मारूप से विराजने वाले |
773 | समावर्तः | संसारचक्र को भली-भाँति घुमाने वाले |
362 | समितिञ्जयः | संग्रामविजयी |
223 | समीरणः | श्वासरूप से प्राणियों से चेष्ठा कराने वाले |
444 | समीहनः | सृष्टि आदि के लिये भलीभाँति चेष्टा करने वाले |
231 | सम्प्रमर्दनः | अपने रुद्र आदि स्वरूप से सबका मर्दन करने वाले |
31 | सम्भवः | अपनी इच्छा से भली प्रकार प्रकट होने वाले |
159 | सर्गः | सृष्टि के कारणरूप |
25 | सर्वः | सर्वरूप |
625 | सर्व तश्चक्षुः | समस्त वस्तुओं को सब दिशाओं में सदा-सर्वदा देखने की शक्तिवाले |
851 | सर्वकामदः | समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले |
123 | सर्वगः | कारणरूप से सर्वत्र व्याप्त रहने वाले |
453 | सर्वज्ञः | सबको जानने वाले |
815 | सर्वज्ञः | सदा सर्वदा सब कुछ जानने वाले |
816 | सर्वतोमुखः | सब ओर मुखवाले यानि जहाँ कहीं भी उनके भक्त भक्तिपूर्वक पत्र-पुष्पादि जो कुछ भी अर्पण करें |
94 | सर्वदर्शनः | सबके दृष्टा |
451 | सर्वदर्शी | समस्त प्राणियों को और उनके कार्यों को देखने वाले |
199 | सर्वदृक् | सब कुछ देखने वाले |
572 | सर्वदृग् व्यासः | सबके दृष्टा एवं वेद का विभाग करने वाले श्रीकृष्णद्वैपायन व्यासस्वरूप |
1000 | सर्वप्रहरणायुधः | ज्ञात और अज्ञात जितने भी युद्धादि में काम आने वाले अस्त्र-शस्त्र हैं |
103 | सर्वयोगविनिः सृतः | नाना प्रकार के शास्त्रोक्त साधनों से जानने में आने वाले |
360 | सर्वलक्षणलक्षण्यः | समस्त लक्षणों से लक्षित होने वाले |
802 | सर्ववागीश्वरेवरः | समस्त वाणीपतियों के यानि ब्रह्मादि के भी स्वामी |
799 | सर्वविज्जयी | सब कुछ जानने वाले और सबको जीतने वाले |
124 | सर्वविद्भानुः | सब कुछ जानने वाले प्रकाशरूप |
759 | सर्वशस्त्रभृतां वरः | समस्त शस्त्रधारियों में श्रेष्ठ |
863 | सर्वसहः | सब कुछ सहन करने की सामर्थ्य से युक्त, अतिशय तितिक्षु |
99 | सर्वादिः | सब भूतों के आदि कारण |
710 | सर्वासुनिलयः | समस्त प्राणियों के आधार |
96 | सर्वेश्वरः | समस्त ईश्वरों के भी ईश्वर |
727 | सवः | जिनमें सोमनाम की ओषधि का रस निकाला जाता है- ऐसे यज्ञ स्वरूप |
91 | संवत्सरः | कालरूप से स्थित |
422 | संवत्सरः | सम्पूर्ण भूतों के वासस्थान |
884 | सविता | समस्त जगत् को उत्पन्न करने वाले |
969 | सविता | सबको उत्पन्न करने वाले |
230 | संवृतः | अपनी योगमाया से ढके हुए |
386 | संस्थानः | प्रलय के सम्यक् स्थान |
368 | सहः | भक्तजनों के अपराधों को सहन करने वाले |
306 | सहस्रजित् | युद्ध में हजारों देवशत्रुओं को जीतने वाले |
227 | सहस्रपात् | हजार पैरों वाले |
224 | सहस्रमूर्धा | हजार सिर वाले |
226 | सहस्राक्षः | हजार आँखों वाले |
826 | सहस्रार्चिः | अनन्त किरणों वाले सूर्यरूप |
483 | सहस्रांशुः | हजारों किरणों वाले सूर्यस्वरूप |
144 | सहिष्णुः | सहनशील |
565 | सहिष्णुः | समस्त द्वन्द्वों को सहन करने में समर्थ |
15 | साक्षी | बिना किसी व्यवधान के सब कुछ देखने वाले |
868 | सात्त्विकः | सत्त्वगुणप्रधानविग्रह |
512 | सात्वतां पतिः | यादवों के और अपने भक्तों के स्वामी |
243 | साधुः | भक्तों के कार्य साधने वाले |
576 | साम | सामवेदस्वरूप |
575 | सामगः | सामवेद का गान करने वाले |
988 | सामगायनः | सामदेव का गान करने वाले |
97 | सिद्धः | नित्यसिद्ध |
819 | सिद्धः | स्वभाव से ही समस्त सिद्धियों से युक्त |
253 | सिद्धसंकल्पः | सत्य-संकल्पवाले |
252 | सिद्धार्थः | इच्छित अर्थ को सर्वथा सिद्ध कर चुकने वाले |
98 | सिद्धिः | सबके फलस्वरूप |
254 | सिद्धिदः | कर्म करने वालों को उनके अधिकार के अनुसार फल देने वाले |
255 | सिद्धिसाधनः | सिद्धिरूप क्रिया के साधक |
200 | सिंहः | दुष्टों का विनाश करने वाले |
488 | सिंहः | भक्त प्रहलाद के लिये नृसिंहरूप धारण करने वाले |
459 | सुखदः | अपने भक्तों को सब प्रकार से सुख देने वाले |
889 | सुखदः | भक्तों को दर्शनरूप परम सुख देने वाले |
458 | सुघोषः | सुन्दर और गम्भीर वाणी बोलने वाले |
784 | सुतन्तुः | सुन्दर विस्तृत जगत् रूप तन्तुवाले |
195 | सुतपाः | बदरिकाश्रम में नर-नारायण रूप से सुन्दर तप करने वाले |
417 | सुदर्शनः | भक्तों को सुगमता से ही दर्शन दे देने वाले |
567 | सुधन्वा | अतिशय सुन्दर शार्ङ्ग धनुष धारण करने वाले |
792 | सुन्दः | परम करुणाशील |
791 | सुन्दरः | परम सुन्दर |
192 | सुपर्णः | सुन्दर पंखवाले गरुड़स्वरूप |
855 | सुपर्णः | वेदरूप सुन्दर पत्तों वाले (संसारवृक्षस्वरूप) |
236 | सुप्रसादः | शिशुपालादि अपराधियों पर भी कृपा करने वाले |
265 | सुभुजः | जगत की रक्षा करने वाली अति सुन्दर भुजाओं वाले |
456 | सुमुखः | सुन्दर और प्रसन्न मुखवाले |
752 | सुमेधाः | अति उत्तम सुन्दर बुद्धिवाले |
707 | सुयामुनः | जिनके परिकर यमुना-तट निवासी गोपालबाल आदि अति सुन्दर हैं |
134 | सुराध्यक्षः | देवताओं के अध्यक्ष |
186 | सुरानन्दः | देवताओं को आनन्दित करने वाले |
208 | सुरारिहा | देवताओं के शत्रुओं को मारने वाले |
878 | सुरुचिः | सुन्दर रुचि और कान्तिवाले |
85 | सुरेशः | देवताओं के स्वामी |
286 | सुरेश्वरः | देवताओं के ईश्वर |
817 | सुलभः | नित्य-निरन्तर चिन्तन करने वाले को और एकनिष्ठ श्रद्धालु भक्त को बिना ही परिश्रम के सुगमता से प्राप्त होने वाले |
794 | सुलोचनः | सुन्दर नेत्रों वाले |
800 | सुवर्णबिन्दुः | सुन्दर अक्षर और बिन्दु से युक्त ओंकारस्वरूप |
737 | सुवर्णवर्णः | सोने के समान पीतवर्ण वाले |
944 | सुवीरः | उत्तम योद्धा |
455 | सुव्रतः | प्रणतपालनादि श्रेष्ठ व्रतों वाले |
818 | सुव्रतः | सुन्दर भोजन करने वाले यानि अपने भक्तों द्वारा प्रेमपूर्वक अर्पण किये हुए पत्र-पुष्पादि मामूली भोजन को भी परम श्रेष्ठ मानकर खाने वाले |
540 | सुषेणः | पार्षदों के समुदायरूप सुन्दर सेना से सुसज्जित |
460 | सुहृत् | प्राणिमात्र पर अहैतु की दवा करने वाले परम मित्र |
457 | सूक्ष्मः | अणु से भी अणु |
883 | सूर्यः | शोभा को प्रकट करने वाले |
505 | सोमः | ओषधियेां का पोषण करने वाले चन्द्रमारूप |
503 | सोमपः | यज्ञों में देवरूप से और यजमानरूप से सोमरस का पान करने वाले |
327 | स्कन्दः | स्वामिकार्तिकेयरूप |
328 | स्कन्दधरः | धर्मपथ को धारण करने वाले |
680 | स्तवप्रियः | स्तुति से प्रसन्न होने वाले |
679 | स्तव्यः | सबके द्वारा स्तुति किये जाने योग्य |
682 | स्तुतिः | स्तवनक्रियास्वरूप |
683 | स्तोता | स्तुति करने वाले |
681 | स्तोत्रम् | जिनके द्वारा भगवान के गुण-प्रभाव का कीर्तन किया जाता है, वह स्तोत्र |
216 | स्त्रग्वी | वैजयन्तीमाला धारण करने वाले |
54 | स्थविरो ध्रुवः | अति प्राचीन एवं अत्यन्त स्थिर |
53 | स्थविष्ठः | अत्यन्त स्थूल |
436 | स्थविष्ठः | विराट रूप से स्थित |
28 | स्थाणुः | स्थिर |
387 | स्थानदः | ध्रुवादि भक्तों को स्थान देने वाले |
427 | स्थावरस्थाणुः | स्वयं स्थितिशील रहकर पृथ्वी आदि, स्थितिशील पदार्थों को अपने में स्थित रखने वाले |
203 | स्थिरः | सदा एक रूप |
838 | स्थूलः | अत्यन्त मोटे और भारी |
279 | स्पष्टाक्षरः | ओंकाररूप स्पष्ट अक्षरवाले |
588 | स्रष्टा | सर्ग के आदि में सबकी रचना करने वाले |
990 | स्रष्टा | समस्त लोकों के रचयिता |
615 | स्वक्षः | मनोहर, कृपाकटाक्ष से युक्त परम सुन्दर आँखों वाले |
616 | स्वङ्गः | अतिशय कोमल, परम सुन्दर, मनोहर अंगों वाले |
843 | स्वधृतः | अपने-आपसे धारित यानि अपनी ही महिमा में स्थित |
986 | स्वयंजातः | स्वयं अपने-आप स्वेच्छापूर्वक प्रकट होने वाले |
37 | स्वयम्भूः | स्वयं उत्पन्न होने वाले |
466 | स्ववशः | स्वतन्त्र |
903 | स्वस्ति | कल्याणस्वरूप |
902 | स्वस्तिकृत् | आश्रितजनों का कल्याण करने वाले |
901 | स्वस्तिदः | परमानन्दरूप मंगल देने वाले |
905 | स्वस्तिदक्षिणः | कल्याण करने में समर्थ और शीघ्र कल्याण करने वाले |
904 | स्वस्तिभुक् | भक्तों के परम कल्याण की रक्षा करने वाले |
548 | स्वाङ्गः | कार्य करने में स्वयं ही सहकारी |
465 | स्वापनः | प्रलयकाल में समस्त प्राणियों को अज्ञाननिद्रा में शयन कराने वाले |
523 | स्वाभाव्यः | नित्य सिद्ध होने के कारण स्वभाव से ही उत्पन्न न होने वाले |
844 | स्वास्यः | सुन्दर मुखवाले |
650 | हरिः | स्मरणमात्र से समस्त पापों का हरण करने वाले |
562 | हलायुधः | हलरूप शस्त्र को धारण करने वाले बलभद्रस्वरूप |
698 | हवः | यज्ञ में हवन किये जाने योग्य हविःस्वरूप |
359 | हविर्हरिः | यज्ञों में हविर्भाग को और अपना स्मरण करने वालों के पापों को हरण करने वाले |
191 | हंसः | पितामह ब्रह्मा को वेद का ज्ञान कराने के लिये हंसरूप धारण करने वाले |
70 | हिरण्यगर्भः | ब्रह्माण्डरूप हिरण्यमय अण्ड के भीतर ब्रह्मारूप से व्याप्त होने वाले |
411 | हिरण्यगर्भः | ब्रह्मारूप से प्रकट होने वाले |
194 | हिरण्यनाभः | सुवर्ण के समान रमणीय नाभिवाले |
879 | हुतभुक् | यज्ञ में हवन की हुई समस्त हवि को अग्निरूप से भक्षण करने वाले |
887 | हुतभुक् | यज्ञ में हवन की हुई सामग्री को उन-उन देवताओं के रूप में भक्षण करने वाले |
47 | हृषीकेशः | इन्द्रियों के स्वामी |
366 | हेतुः | संसार के निमित्त और उपादानकारण |
738 | हेमाङ्गः | सोने के समान चमकीले अंगों वाले |
Śiva Sahasranāma - Full list
क्रम | नाम | अर्थ |
321 | अकरः | कर्तृत्वके अभिमानसे रहित |
759 | अक्षः रथयोगी | रथसे सम्बन्ध रखनेवाला धुरीस्वरूप |
412 | अक्षरम् | अविनाशी ब्रहा |
244 | अगमः | जानने में आने वाला |
434 | अग्निज्वालः | अग्निकी ज्वालाके समान तेजवाले |
966 | अग्रवरः | यज्ञ में सबसे प्रथम भाग लेने के अधिकारी |
444 | अङ्गलुब्धः | अपने श्रीअंगके सौन्दर्यपर स्वयं ही लुभाये रहनेवाले |
795 | अचलोपमः | पर्वत के समान अवचिल |
951 | अचिन्तयः | अचिन्त्यस्वरूप |
997 | अचिन्त्यः | चितकी पहुँचसे परे |
133 | अजः | अजन्मा |
195 | अजितः | अपराजित |
496 | अजितः | किसीसे पराजित न होने वाले |
613 | अजितः | किसीके द्वारा पराजित न होने वाले |
610 | अजैकपाद् | ग्यारह रुद्रों में से एक |
183 | अतन्द्रितः | आलस्यरहित[ |
328 | अतिदीप्तः | अत्यन्त तेजस्वी |
436 | अतिधूम्रः | कालग्निरूपसे सबके दाहकालमें अत्यन्त धूम्र वर्णवाले |
741 | अतिवृद्धः | सबसे पुरातन होनेके कारण अतिवृद्ध |
274 | अतुल्यः | तुलनारहित |
70 | अत्रिः | अत्रि ऋषिस्वरूप |
71 | अत्र्या नमस्कर्ता | अत्रिपत्नी अनसूया को दुर्वासारूप से नमस्कार करने वाले |
505 | अथर्वशीर्षः | अथर्ववेद जिनका मस्तक है वे |
403 | अदम्भः | दम्भरहित |
568 | अदितिः | देवमाता अदितिस्वरूप |
76 | अदीनः | उदार |
601 | अधनः | सांसारिक धनसे रहित |
184 | अधर्षणः | अजेय |
780 | अधिरोहः | परम पदपर आरूढ़ |
396 | अध्यायत्मनुगतः | अध्यात्म शास्त्र का अनुसरण करने वाले |
73 | अनघः | पापरहित |
863 | अनन्तरूपः | अनन्त रूपवाले |
500 | अनलः | अग्निस्वरूप |
589 | अनलः | अग्निस्वरूप |
642 | अनलः | अग्निदेव |
584 | अनिन्दितः | निन्दारहित |
693 | अनिन्दितः | निन्दारहित |
92 | अनिमिषः | कभी पलक न गिराने वाले |
588 | अनिलः | वायुस्वरूप |
641 | अनिलः | वायुदेव |
607 | अनिलाभः | वायुके समान वेगवान् |
417 | अनीतिः | साम,दाम,दण्ड़,भेदसे रहित |
574 | अनुकारी | भक्तोंका अनुकरण करने वाले |
411 | अनौषधः | अन्न आदि ओषधियोंके सेवनसे रहित |
476 | अन्तरात्मा | सबके अन्तरात्मा |
47 | अन्तर्हितात्मा | अदृश्य स्वरूप वाले |
566 | अपरः | अर्वाचीन |
726 | अप्सरोगणसेवितः | अप्सराओंके समुदायसे सेवित |
98 | अबलो गणः | निर्बल समुदायरूप |
514 | अभिगम्यः | सुगमतासे प्राप्त होनेयोग्य |
985 | अभिरामः | आनन्ददायक |
32 | अभिवाद्यः | नमस्कार के योग्य |
280 | अमरः | अविनाशी |
959 | अमरः | नाशरहितः-नाशरहित |
602 | अमरेशः | देवताओंके भी ईश्वर |
168 | अमितः | अनन्त |
425 | अमित्रजित् | बाहर-भीतरके शत्रुओंके जीतनेवाले |
249 | अमुखः | बिना मुख वाला |
295 | अमुख्यः | जिससे बढ़कर मुख्य दूसरा कोई न हो वह |
776 | अमृतः | अमृतस्व्रूप |
898 | अमृतो गोवृषेश्वरः | निष्काम धर्म के स्वामी |
698 | अमोघः | कभी असफल न होने वाले |
512 | अमोघार्थः | किसी वस्तुके लिये याचना करनेपर उसे अवश्य सफल होने वाले |
559 | अम्बुजालः | जलसमूह-सागररूप |
283 | अयज्ञः | कर्मरहित |
194 | अर्थः | अर्थस्वरूप |
334 | अर्थकरः | धनआदि देनेवाले |
31 | अर्दनः | पापियों को पीड़ा देने वाले |
628 | अर्यमा | बारह आदित्योंमें एक आदित्य अर्यमारूप |
545 | अलोकः | लोकातीत |
674 | अलोलः | अचंचल |
791 | अवधः | मृत्युरहित |
196 | अवरः | जिनसे श्रेष्ठ दूसरा कोई नहीं है वे भगवान शिव |
307 | अवशः | जिनके उपर किसी का वश नहीं चलता वे |
923 | अव्यक्तम् | निराकाररूप |
349 | अव्ययः | अविनाशी |
974 | अव्ययः | विनाशरहित |
111 | अशनी | पांचवें हाथ में वज्र धारण करने वाले |
310 | अंशुः | किरणस्वरूप |
700 | अश्व | उच्चैःश्रवा आदि उत्तवम अश्वरूप |
333 | अश्वत्थः | संसार-वृक्षरूप |
658 | असत् | असत्स्वरूप |
921 | असत् | असत्त्वरूप |
763 | असमाम्नायः | वेदभिन्न, स्मृति, इतिहास, पुराण और आगमरूप |
267 | असुरेन्द्राणां बन्धनः | बलि आदि असुरपतियों को बांध लेने वाले |
495 | अस्नेहनः | आसक्तिसे रहित |
146 | अहश्चरः | दिन में विचरने वाले |
606 | अहिर्बुध्न्यः | शेषनागस्वरूप |
692 | अहोरात्रम् | दिन-रात्रिस्वरूप |
305 | आकाशनिर्विरूपः | आकाशकी भाँति जिनसे नाना प्रकारके रूप प्रकट होते हैं वे |
323 | आत्मनिरालोकः | देह आदिकी उपाधिसे अलग होकर आलोचना करने वाले |
953 | आत्मसम्भवः | स्वयम्भू |
56 | आदिः | सबसे प्रथम |
57 | आदिकरः | आदि पुरुष हिरण्य गर्भ की सृष्टि करने वाले |
311 | आदित्यः | अदितिपुत्र |
900 | आदित्यो वसुः | अदितिकुमार वसु |
732 | आदेशः | आज्ञा प्रदान करने वाले |
528 | आद्यः | सबके आदि कारण |
919 | आद्यो निर्गमः | सबसे पहले प्रकट होने वाले |
564 | आयुः | जीवनरूप |
115 | आयुधी | नवें हाथ में अपने सामान्य आयुध त्रिशुल को लिये रहने वाले |
779 | आरोहणः | परम पदपर आरूढ़ होने के द्वारस्वरूप |
156 | आर्द्रचर्माम्बरावृतः | गजासुर के गीले चर्म को ही वस्त्र बनाकर उससे अपने-आपको आच्छादित करने वाले |
754 | आवर्तमानेभ्यो वपुः | स्वर्गलोक से लौटने वाले नूतन शरीर देने वाले |
731 | आवेदनीयः | प्रार्थना करनेयोग्य |
553 | आश्रमस्थः | चारों आश्रमोंमें धर्मस्वरूपसे स्थित रहनेवाले |
749 | आषाढ़ः | भक्तोंको सब कुछ सहन करनेकी शक्ति देनेवाले |
398 | इतिहासः | महाभारत आदि इतिहासस्वरूप |
647 | ई | दयास्वरूप |
960 | ईड्यः | स्तुति के योग्य |
368 | ईशानः | नियन्ता |
369 | ईश्वरः | सबके शासक |
580 | उग्रः | प्रलयकालमें भयंकर रूप धारण करने वाले |
222 | उग्रतेजाः | भयंकर तेज वाले |
452 | उत्सङ्गः | संगरहित |
123 | उदग्रः | ओजस्वी |
954 | उद्भित् | वृक्षादिस्वरूप |
36 | उन्मत्तवेषप्रच्छन्नः | उन्मत वेश में छिपे रहने वाले |
330 | उन्मादः | प्रेममें उन्मत |
516 | उपकारः | उपकार करने वाले |
320 | उपदेशकरः | जिज्ञासुओंको तत्त्वका और काशीमें मरे हुए जीवोंको तारकमन्त्रका उपदेश करने वाले |
644 | उपशान्तः | शान्तस्वरूप |
878 | उमाकान्तः | पार्वती के प्राण-प्रियतम |
880 | उमाधवः | पार्वतीपति[ |
94 | उमापतिः | गिरिराजकुमारी उमा के पतिदेव |
877 | उमापतिः | उमा-ब्रहाविद्याके स्वामी |
866 | उर्ध्वगात्मा | देश-काल-वस्तुकृत उपाधिसे अतीत स्वरूपवाले |
137 | उर्ध्वरेताः | अखण्डिता ब्रहाचर्य वाले |
578 | उर्ध्वरेताः | अस्खलितवीर्य |
138 | उर्ध्वलिङ्गः | |
139 | उर्ध्वशायी | आकाश में शयन करने वाले |
823 | उर्ध्वसंहननः | सुदृढ़ शरीरवाले |
631 | उशङ्गुः | सर्वदाहक किरणों वाले सूर्यरूप |
121 | उष्णीषी | सिर पर साफा धारण करने वाले |
507 | ऋक्सहस्रामितेक्षणः | सहस्रों ऋचाएं जिनके नेत्र हैं |
905 | ऋतुः | ऋतुरूप |
836 | ककुभः | सम्पूर्ण दिशास्वरूप |
519 | कनकः | सुवर्णस्वरूप |
849 | कनिष्ठः | अदिति के पुत्रोंमें छोटे, वामनरूपधारी विष्णु |
136 | कपर्दी | जटाजूटधारी |
110 | कपालवान् | चौथे हाथ में कपालधारी |
561 | कपिलः | कपिल वर्ण |
562 | कपिषः | पीले वर्णवाले |
107 | कमण्डलुधरः | एक हाथ में कमण्डलु धारण करने वाले |
433 | करः | संहारकारी |
822 | करस्थाली | हाथोंसे ही भोजनपात्र का काम लेनेवाले |
874 | कर्णिकारमहास्त्रग्वी | करेनकी बहुत बड़ी माला धारण करने वाले |
292 | कर्ता | सबके उत्पादक |
214 | कर्मकालवित् | कर्मो के काल को ठीक-ठीक जानने वाले |
266 | कर्मसर्वबन्धविमोचनः | कर्मो के समस्त बन्धनों को काटने वाले |
910 | कलाः | |
407 | कलिः | कलि नामक युग |
532 | कलिः | कलिके स्वरूप |
520 | काञ्चनच्छविः | कांचनके समान कमनीय कान्तिवाले |
976 | कान्तः | आनन्द की पराकाष्ठारूप |
611 | कापाली | दो कपालोंसे निर्मित कपालरूप अखिल के अधीश्वर |
102 | कामः | कमनीय |
332 | कामः | कमनीय विषय |
187 | कामनाशकः | कामदेव को नष्ट करने वाले |
152 | कालः | मृत्यु अथवा संवत्सर आदि समय |
370 | कालः | कालस्वरूप |
384 | कालः | चौसठ कलाओंके निवासस्थल |
533 | कालः | सबको अपना ग्रास बनानेवाले कालरूप |
240 | काल कटंकटः | यमराजके मायाके आवृत करने वाले |
535 | कालपूजितः | काल अर्थात् मृत्युके द्वारा पूजित |
157 | कालयोगी | काल को भी योगबल से जीतने वाले |
911 | काष्ठाः | |
297 | काहलिः | काहल नामक वाद्यविशेषको बजानेवाले |
833 | कुण्डी | खप्परधारी |
648 | कुरुकर्ता | कुरुक्षेत्रके निर्माता |
650 | कुरुभूतः | कुरुक्षेत्रस्वरूप |
649 | कुरूवासी | कुरुक्षेत्रनिवासी |
663 | कूलकर्ता | पुष्कर आदि बड़े-बड़े सरोवरोंका निर्माण करने वाले |
662 | कूलहारी | प्रबल प्रवाहरूपसे नदियोंके तटोंका अपहरण करने वाले |
128 | कृष्णः | सच्चिदानन्दस्वरूप |
850 | कृष्णपिङ्गलः | श्याम-गैरहरि-हर-मूर्ति |
455 | कृष्णवर्णः | शमवर्ण विष्णुस्वरूप |
66 | केतुः | |
688 | केतुमाली | ध्वजा-पताकाओंकी मालाओंसे अलंकृत |
660 | कैलासगिरिवासी | कैलास पर्वतपर निवास करने वाले |
554 | क्रियावस्थः | यज्ञादि क्रियाओंमें संलग्न |
915 | क्षणाः | क्षणरूप |
308 | खगः | आकाशगामी |
29 | खचरः | आकाश में विचरने वाले |
113 | खड्गी | सातवें में खड्गधारी |
239 | खली | खलिहानके स्वामी |
150 | गजहा | गजरूपधारी महान असुर को मारने वाले |
543 | गणः | भृंगिरिटि और नन्दिकेश्वर आदि पार्षदरूप |
99 | गणकर्ता | अपने पार्षदगणों का संघटन करने वाले |
537 | गणकारः | बाणासुर आदि भक्तोंको अपने गणमें सम्मिलित करने वाले |
100 | गणपतिः | प्रथमगणों के स्वामी |
502 | गण्डली | पहाड़ोकी गुफाओंमें छिपकर रहनेवाले |
421 | गतागतः | गमनागमनशील संसारस्वरूप |
169 | गतिः | भक्तों और मुक्तात्माओं के प्राप्त होने योग्य |
862 | गतिः | ब्रह्मनिष्ठोंकी परमगति |
135 | गन्धधारीः | कुकुम और कस्तुरी आदि सुगन्धित पदार्थ धारण करने वाले |
567 | गन्धर्वः | चित्ररथ आदि गन्धर्वरूप |
857 | गभस्तिः | सूर्यस्वरूप |
198 | गम्भीरः | गाम्भीर्ययुक्त |
197 | गम्भीरघोषः | गम्भीर घोष करने वाले |
199 | गम्भीरबलवाहनः | अगाध बलशाली वृषभ पर सवारी करने वाले |
353 | गवाम्पतिः | इन्द्रियोके स्वामी |
719 | गान्धारः | गान्धार नामक स्वरूप |
178 | गिरिरूहः | पर्वतपर आरूढ़-कैलाशवासी |
493 | गिरिसाधनः | पर्वतको युद्धका साधन बनानेवाले |
242 | गुणबुद्धिः | गुणोंमें बुद्धि लगानेवाले |
154 | गुणाकरः | सद्गुणों की खान |
742 | गुणाधिकः | ज्ञान-ऐश्वर्य आदि गुणोंके द्वारा सबसे अधिकतर |
651 | गुणौषधः | गुणोंको उत्पन्न करने वाली ओषधिके समान ज्ञान |
842 | गुरुः | सब के ज्ञानदाता |
261 | गुहः | कार्तिकेयस्वरूप |
975 | गुहः | कुमार कार्तिकेयस्वरूप |
714 | गुहापालः प्रवेशिनाम् | गुफाके भीतर प्रवेष करने वाले योगियोंकी गुफाके रक्षक |
260 | गुहावासी | सबकी हदयगुफा में निवास करने वाले |
509 | गुह्यः | गोपनीयस्वरूप |
30 | गोचरः | पृथ्वी पर विचरने वाले |
711 | गोचर्मवसनः | गोचर्ममय वस्त्र धारण करने वाले |
709 | गोपतिः | गौओंके स्वामी |
708 | गोपालिः | इन्द्रियोंके पालक |
400 | गौतमः | तर्कशास्त्रके प्रणेता मुनिस्वरूप |
67 | ग्रहः | चन्द्रमा और सूर्य पर ग्रहण लगाने वाला राहु |
68 | ग्रहपतिः | ग्रहों के पालक |
710 | ग्रामः | समूहरूप |
174 | घोरः | भयंकर रूपधारी |
75 | घोरतपाः | भयंकर तपस्या करने वाले |
387 | चतुर्मुखः | चार मुखवाले |
160 | चतुष्पथः | जिनकी प्राप्ति के ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग और अष्टांगयोग- ये चार मार्ग है वे महादेव |
670 | चन्दनः | चन्दन वृक्षस्वरूप |
870 | चन्दनी | चन्दनचर्चित अंगवाले |
63 | चन्द्रः | चन्द्रमारूप में आहादकारी |
640 | चन्द्रवक्त्रः | चन्द्रमा-जैसे मनोहर मुखवाले |
356 | चमूस्तम्भनः | दैत्यसेनाको स्तब्ध करने वाले |
896 | चराचरात्मा | चराचर प्राणियों के आत्मा |
14 | चर्मी | व्याघ्रचर्म धारण करने वाले |
730 | चलः | किसीकी पकड़में नहीं आने वाले |
389 | चारूलिङ्गः | रमणीय वेशधारी |
142 | चीरवासाः | वल्कल वस्त्र पहनने वाले |
608 | चेकितानः | अतिशय ज्ञानसम्पन्न |
825 | छत्रम् | छत्र के समान पाप-तापसे सुरक्षित रखनेवाले |
671 | छदः | छितवन वृक्षस्वरूप |
1008 | जगत् | जगत्स्व |
683 | जगत्कालस्थालः | प्रलयकालमें जगत्का संहार करने वाले कालके स्थान |
511 | जङ्गमः | चलने-फिरनेवाले |
805 | जटाधरः | जटाधारी |
13 | जटी | जटाधारी |
231 | जटी | जटाधारी वानप्रस्थ |
224 | जन्यः | संसार के जन्मदाता |
579 | जलेशयः | विष्णुरूपसे जलमें शयन करने वाले |
856 | जलोद्भवः | एकार्णव के जल में प्रकट होने वाले |
879 | जाह्नवीधृत् | गंगा को मस्तकपर धारण करने वाले |
717 | जितकामः | कामविजयी |
718 | जितेन्द्रियः | इन्द्रियविजयी |
767 | जीवनः | जीवनदाता |
226 | ज्योतिषामयनम् | ज्योतिषों का स्थान |
232 | ज्वाली | अग्नि की प्रज्वलित ज्वाला में समिधा की आहुति देने वाले |
721 | तपःसक्तः | तपस्यामें संलग्न |
34 | तपस्वी | तपस्या में संलग्न |
778 | तपोनिधिः | तपस्या के भण्डार |
969 | तपोमयः | तपोमयस्वरूप |
263 | तरङ्गवित् | क्षुधा-पिपासा आदि छहों उर्मियों के ज्ञाता साक्षी |
542 | तरूः | कल्पवृक्षस्वरूप |
685 | तरूः | तारनेवाले |
821 | तलस्तालः | हाथ पर ही ताल देनेवाले |
558 | ताम्रोष्ठः | लाल-लाल आठवाले |
735 | तारणः | तारनेवाले |
569 | तार्क्ष्यः | विनतानन्दन गरूडरूप |
358 | तालः | संसारसागरके तल प्रदेश-आधार-स्थान अर्थात् शुद्ध जाननेवाले |
238 | ताली | ताल देनेवाले |
865 | तिग्मतेजाः स्वयम्भुवः | ब्रहाजी की अपेक्षा प्रचण्ड तेजस्वी |
148 | तिग्ममन्युः | तीखे कारेध वाले |
211 | तीक्ष्णतापः | दुःसह तापरूप सूर्य |
764 | तीर्थदेवः | सम्पूर्ण तीर्थों के देवस्वरूप |
576 | तुम्बवीणः | तूँबी की वीणा बजानेवाले |
119 | तेजः | तेजस्वी |
120 | तेजस्करो निधिः | भक्तों के तेज की वृद्धि करने वाले निधिरूप |
191 | तेजोपहारी | दूसरों के तेज को हर लेने वाले |
734 | तोरणः | मुक्तिद्वारस्वरूप |
527 | त्रासनः | संहारकारी होने कारण भयजनक |
848 | त्रिककुन्मन्त्रः | त्रिपदा गायत्रीरूप |
265 | त्रिकालधृक् | भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों को धारण करने वाले |
141 | त्रिजटी | तीन जटा धारण करने वाले |
264 | त्रिदशः | प्राणियों की तीन दशाओं-जन्म, स्थिति और विनाश के हेतुभूत |
800 | त्रियुगः | सत्ययुग, त्रेता और द्वापर त्रिविध युगस्वरूप |
802 | त्रिलोचनः | त्रिनेत्रधारी |
955 | त्रिविक्रमः | तीनों लोकों को तीन चरणों से नाप लेने वाले भगवान वामन |
930 | त्रिविष्टपम् | स्वर्ग के साधनस्वरूप |
612 | त्रिशङ्कुः | त्रिशङ्कुरूप |
549 | त्रिशुक्लः | मन,वाणी और शरीर ये तीनों |
894 | त्र्यक्षः | त्रिनेत्रधारी |
623 | त्वष्टा | प्रजापति विश्वकर्मा |
705 | दक्षः | चतुर |
188 | दक्षयागापहारी | दक्ष के यज्ञ का अपहरण करने वाले |
339 | दक्षिणः | कुशल |
832 | दण्डी | दण्डधारी |
886 | दमनः | दुष्टों का दमन करने वाले |
402 | दम्भः | शत्रुओंका दमन करने वाले |
424 | दर्पणः | दर्पणके समान स्वच्छ |
653 | दर्भचारी | वेदीपर बिछे हुए-कुषोंपर रखे हुए हविष्यको भक्षण करने वाले |
91 | दशबाहुः | दस भुजाओं से युक्त |
101 | दिग्वासाः | दिगम्बर |
77 | दीनसाधकः | शरण में आये हुए दीन-दुखियों का मनोरथ सिद्ध करने वाले |
125 | दीर्धः | उंचे कदवाले |
270 | दुर्वासाः | अत्रि और अनसूया के पुत्र रुद्रावतार दुर्वासा मुनि |
278 | दुर्वासाः | अनन्त और अपार होने के कारण जिनको वस्त्र से आच्छादित करना दुर्लभ है |
573 | देवः | महादेवस्वरूप |
938 | देवः | परम देवस्वरूप |
952 | देवतात्मा | देवताओं के अन्तरात्मा |
655 | देवदेवः | देवताओंके भी देवता |
945 | देवर्षिः | नारदस्वरूप |
963 | देवसिंहः | देवताओं में सिंह के समान पराक्रमी |
944 | देवातिदेवः | नारदस्वरूप |
504 | देवाधिपतिः | देवताओंके स्वामी |
943 | देवासुरगणाग्रणीः | देवताओं तथा असुरों के अगुआ |
942 | देवासुरगणाध्यक्षः | देवताओं तथा असुरगणों के अध्यक्ष |
941 | देवासुरगणाश्रयः | देवताओं तथा असुरगणों के आश्रय लेने योग्य |
937 | देवासुरगुरुः | देवताओं और असुरों के गुरु |
939 | देवासुरनमस्कृतः | देवताओं और असुरों से वन्दित |
744 | देवासुरपतिः | देवताओं, और असुरोंके स्वामी |
936 | देवासुरपरायणः | देवताओं तथा असुरों के परम आश्रय |
940 | देवासुरमहामात्रः | देवताओं और असुरों से अत्यन्त श्रेष्ठ |
949 | देवासुरमहेश्वरः | देवताओं और असुरों के महान ईश्वर |
946 | देवासुरवरप्रदः | देवताओं और असुरों को भी वरदान देने वाले |
935 | देवासुरविनिर्माता | देवताओं तथा असुरों के जन्मदाता |
947 | देवासुरेश्वरः | देवताओं और असुरों के ईश्वर |
840 | देवेन्द्रः | देवताओं के राजा |
748 | देवो दिविसुपर्वणः | स्वर्गमें जो महान् देवता इन्द्र हैं |
296 | देहः | देहस्वरूप |
151 | दैत्यहा | अन्धक आदि दैत्यों का वध करने वाले |
526 | द्वादशः | ग्यारह रुद्रोसे श्रेष्ठ बारहवे रुद्र |
615 | धन्वन्तरिः | महावैद्य धन्वन्तरिरूप |
108 | धन्वी | दूसरे हाथ में धनुष धारण करने वाले |
625 | धरः | आठ वसुओंमेंसे एक वसु धरस्वरूप |
285 | धरोत्तमः | धारण करनेवालों में सबसे उत्तम-अखिल धारण करने वाले |
895 | धर्मसाधारणो वरः | धर्म-पालन के अनुसार वर देने वाले |
185 | धर्षणात्मा | भयरूप |
619 | धाता | सबको धारण करने वाले |
442 | धूमकेतनः | अग्निस्वरूप |
616 | धूमकेतुः | अग्निस्वरूप |
703 | धृतिमान् | धैर्यशाली |
26 | ध्रुवः | अचल |
624 | ध्रुवः | नित्यस्वरूप |
751 | ध्रुवः | अविचलस्वरूप |
147 | नक्तंचरः | रात में विचरने वाले |
531 | नक्तम् | प्रलयकालकी रात्रिस्वरूप |
241 | नक्षत्रविग्रहमतिः | नक्षत्र-ग्रह-तारा आदिकी गतिको जाननेवाले |
62 | नक्षत्रसाधकः | नक्षत्रों के साधक |
380 | नन्दनः | परम आनन्द प्रदान करने वाले |
375 | नन्दिः | ज्ञानसम्पतिरूप |
376 | नन्दिकरः | ज्ञानरूपीसम्पति देनेवाले |
522 | नन्दिकरः | आनन्द देनेवाले |
381 | नन्दिवर्द्धनः | समृद्धि बढ़ानेवाले |
379 | नन्दी | नन्दी नामक गणरूप |
378 | नन्दीश्वरः | नन्दी नामक पार्षदके स्वामी |
179 | नभः | आकाश के समान असंग |
140 | नभःस्थलः | आकाश जिनका वासस्थान है वे |
723 | नरः | विराट् पुरुष |
873 | नरः | पुरुषरूप |
964 | नरर्षभः | मनुष्यों में श्रेष्ठ |
172 | नर्तकः | नाचने-नचाने वाले |
687 | नवचक्राङ्गः | नूतन हंसरूप |
521 | नाभिः | समस्त भुवनका मध्यदेशरूप |
291 | निग्रहः | उदण्डोको दण्ड देनेवाले |
977 | निजः सर्गः | सृष्टि से अभिन्न |
177 | नित्यः | विनाशवासी |
743 | नित्य आत्मसहायः | आत्माकी सदा सहायता करने वाले |
441 | नित्यं वर्चस्वी | सदा तेजसे जगमगासे रहनेवाले |
171 | नित्यनर्तः | निरन्तर नृत्य करने वाले |
363 | नित्यमाश्रमपूजितः | सदा आज्ञमोंद्वारा पूजित होने वाले |
58 | निधिः | अक्षय ऐश्वर्य के भण्डार |
306 | निपाती | पापियोंको नरकमें गिरानेवाले |
374 | निमित्तम् | निमित कारणरूप |
373 | निमित्तस्थः | अन्तर्यामी |
24 | नियतः | नियमपरायण |
52 | नियमः | शौच- संतोष आदि नियमों के पालन के प्राप्त होने योग्य |
53 | नियमाश्रितः | नियमों के आश्रय भूत |
994 | नियमेन्द्रियवर्धनः | नियमोंद्वारा मनसहित इन्द्रियोंका दमन करने वाले |
446 | निरवग्रहः | प्रतिबन्धरहित |
984 | निरामयः | सर्वथा दोषरहित |
766 | निर्जीवः | जड-प्रपंचस्वरूप |
931 | निर्वाणम् | मोक्षस्वरूप |
23 | निवृत्तिः | निवृतिमार्ग |
812 | निवेदनः | सब प्रकार की वृति से रहित ज्ञान वाले |
401 | निशाकरः | चन्द्रमारूप |
161 | निशाचरः | रात्रि के समय विचरने वाले |
317 | निशाचरः | रात्रिमें विचरनेवाले |
371 | निशाचारी | प्रलयकालकी रातमें विचननेवाले |
465 | निशालयः | निशा अर्थात् अविद्याके लयस्थान |
383 | निहन्ता | मृत्युरूपसे सबको मारनेवाले |
416 | नीतिः | न्यायस्वरूप |
958 | नीरजः | निर्मल |
443 | नीलः | शमवर्ण श्रीहरि |
93 | नीलकण्ठः | जगत कि रक्षा के लिये हालाहल विष का पान करके उसके नील चिहन को कण्ठ में धारण करने वाले |
875 | नीलमौलिः | मस्तकपर नीलमणिमय मुकुट धारण करने वाले |
170 | नृत्यप्रियः | ताण्डव नृत्य जिन्हें प्रिय है वे शिव |
729 | नैकसानुचरः | मेरूगिरिके अनेक शिखरोंपर विचरण करने वाले |
864 | नैकात्मा | अनेक शरीरधारी |
201 | न्यग्रोधः | वटनिकटनिवासी |
200 | न्यग्रोधरूपः | वटवृक्षस्वरूप |
792 | न्यायनिर्वपणः | न्यायोचित दान करने वाले |
908 | पक्षः | पक्षरूप |
327 | पक्षरूपः | शुक्लपक्षस्वरूप |
326 | पक्षी | गरुड़रूपधारी |
114 | पट्टिशी | आठवें में पट्टिश धारण करने वाले |
237 | पणवी | पणव नामक वाद्य बजाने वाले |
794 | पण्डितः | ज्ञानी |
745 | पतिः | सबके स्वामी |
738 | पतिखेचरः | आकाशचारीकी स्वामी |
853 | पद्मगर्भः | ब्रह्मास्वरूप |
638 | पद्मनाभः | अपनी भाभिसे कमलको प्रकट करने वाले विष्णुरूप |
871 | पद्मनालाग्रः | पद्यनाल के मूल विष्णुस्वरूप |
481 | पयोनिधिः | क्षीरसागररूप |
565 | परः | प्राचीन |
81 | परमं तपः | उत्कृष्ट तपः स्वरूप[ |
413 | परमं ब्रह्म | सर्वात्कृष्ट परमात्मा |
890 | परमात्मा | परमेश्वर |
104 | परमो मन्त्रः | उत्कृष्ट मन्त्ररूप |
1001 | परम् | सर्वश्रेष्ठ |
572 | परश्र्वधायुधः | फरसेका आयुधके रूपमें उपयोग करने वाले परशुरामरूप |
934 | परा गतिः | सर्वोत्कृष्ट गतिस्वरूप |
737 | परिधीः | ब्रहाण्डका घेरारूप |
904 | पर्ययो नरः | सब ओर से व्याप्त करने वाले वैश्वानरस्वरूप |
50 | पवित्रम् | शुद्ध वस्तुरूप |
847 | पवित्रम् | परम पावन |
978 | पवित्रम् | परम पवित्र |
409 | पशुपतिः | पशुओं-जीवोंके स्वामी |
867 | पशुपतिः | जीवोंके स्वामी |
793 | पादः | शरण लेनेयोग्य पद्यते भक्तैः इति पादः |
176 | पाशः | अपनी मायारूपी पाश से बांधने वाले |
924 | पिता | |
386 | पितामहः | प्रजापतिके भी पिता |
926 | पितामहः | |
876 | पिनाकधृत् | पिनाक धनुष को धारण करने वाले |
372 | पिनाकवान् | पिनाक नामक धनुष धारण करने वाले |
889 | पीतात्मा | हिरण्यमय पुरुष |
646 | पुण्यचञ्चुः | पुण्यके द्वारा जाननेमें आने वाले |
645 | पुराणः | पुराणस्वरूप |
524 | पुष्करस्थपतिः | ब्रहाणडरूपी पुष्करका निर्माण करने वाले |
510 | प्रकाशः | भक्तोंपर कृपा करके स्वयं ही उनके समक्ष अपनेको प्रकाशित कर देनेवाले |
715 | प्रकृष्टारिः | काम,क्रोध आदि शत्रुओंको क्षीण कर देनेवाले |
928 | प्रजाद्वारम् | प्रजा के कारण |
245 | प्रजापतिः | प्रजा के स्वामी |
917 | प्रजाबीजम् | प्रजाओं के कारणरूप |
492 | प्रत्ययः | ज्ञानस्वरूप |
892 | प्रधानधृत् | जगत के कारणभूत त्रिगुणमय प्रधान के अधिष्ठानस्वरूप |
3 | प्रभः | समर्थ ईश्वर |
626 | प्रभावः | उत्कृष्टभावसे सम्पन्न |
682 | प्रभावात्मा | उत्कृष्ट सतास्वरूप |
21 | प्रभुः | स्वामी |
80 | प्रमाणम् | प्रमाणस्वरूप |
891 | प्रयतात्मा | विशुद्धिचित |
5 | प्रवरः | सर्वश्रेष्ठ |
22 | प्रवृत्तिः | प्रवृतिमार्ग |
220 | प्रशान्तात्मा | शान्तचित |
490 | प्रसन्नः | आनन्दमग्न |
48 | प्रसादः | प्रसन्नता से परिपूर्ण |
491 | प्रसादः | प्रसन्नताकी मूर्ति |
513 | प्रसादः | दया करके शीघ्र प्रसन्न होने वाले |
272 | प्रस्कन्दनः | स्थान भ्रष्ट करने वाले |
338 | प्राक् | सबके आदि |
702 | प्राणधारणः | सबके प्राणोंकी रक्षा करने वाले |
973 | प्रासानां प्रभवः | प्रास नामक अस्त्र की उत्पति के स्थान |
517 | प्रियः | भक्तोंके प्रेमास्पद |
162 | प्रेतचारी | प्रेतोंके साथ विचरण करने वाले |
669 | बकुलः | मौलकिसरी वृक्षस्वरूप |
591 | बन्धकर्ता | बन्धनरूप संसारके निर्माता |
590 | बन्धनः | स्नेहबन्धनमें बांधनेवाले |
982 | बभ्रूः | विष्णुस्वरूप |
397 | बलः | बलवान |
254 | बलचारी | बलका संचार करने वाले |
301 | बलरूपधृक् | बल और रूपके आधार |
414 | बलवत् | शक्तिशाली |
643 | बलवान् | शक्तिशाली |
97 | बलवीरः | बल के द्वारा वीरता प्रकट करने वाले |
192 | बलहा | बलनामक दैत्य का वध करने वाले |
235 | बली | बलिष्ठ |
770 | बहुकर्कशः | संहारकालमें अत्यन्त कठोर स्वभाववाले |
166 | बहुधरः | बहुतों को धारण करने वाले |
597 | बहुधा निन्दितः | दक्ष और उनके समर्थकोंद्वारा अनेक प्रकारसे निन्दित |
665 | बहुप्रदः | बहुत अधिक देनेवाले |
422 | बहुप्रसादः | भक्तोंपर अधिक कृपा करने वाले |
165 | बहुभूतः | सृष्टिकाल में एक से अनेक होने वाले |
796 | बहुमालः | बहुत-सी मालाएं धारण करने वाले |
312 | बहुरश्मिः | असंख्य किरणोवाले, सूर्यरूप |
134 | बहुरूपः | बहुत से रूप धारण करने वाले |
664 | बहुविद्यः | बहुत-सी विद्याओंके ज्ञाता |
109 | बाणहस्तः | तीसरे हाथ में बाण लिये रहने वाले |
806 | बिन्दुः | अनुस्वाररूप |
395 | बीजकर्ता | कारणोंके उत्पादक |
90 | बीजवाहनः | जीवों के संस्काररूप बीज को वहन करने वाले |
394 | बीजाध्यक्षः | कारणोंके अध्यक्ष |
1002 | ब्रह्म | देश,काल और वस्तु से अपरिच्छिन्न चिन्मयतत्त्व |
858 | ब्रह्मकृत् | वेदोंका आविष्कार करने वाले |
855 | ब्रह्मगर्भः | वेदको उदरमें धारण करने वाले |
364 | ब्रह्मचारी | ब्रह्मनिष्ठ |
851 | ब्रह्मदण्डविनिर्माता | ब्रह्मदण्ड का निर्माण करने वाले |
933 | ब्रह्मलोकः | ब्रहालोकस्वरूप |
992 | ब्रह्मवर्चसः | ब्रहातेज से सम्पन्न |
860 | ब्रह्मवित् | वेदार्थवेता |
385 | ब्रह्मा | लोकस्त्रष्टा ब्रह्मा |
859 | ब्रह्मी | वेदाध्यायी |
861 | ब्राह्मणः | ब्रह्मनिष्ठ |
1003 | भक्तानां परमा गतिः | भक्तों के लिये परम गतिस्वरूप |
28 | भगवान् | सम्पूर्ण ऐश्वर्य, ज्ञान, यज्ञ, श्री, वैराग्य, और धर्मसे सम्पन्न |
816 | भगवान् गन्धपाली | उत्तम गन्ध की रक्षा करने वाले भगवान् |
382 | भगहारी | ऐश्वर्यका अपहरण करने वाले |
12 | भवः | सबकी उत्पतिके स्थान |
697 | भवः | सतारूप |
540 | भस्मगोप्ता | भस्मस्वरूवप |
541 | भस्मभूतः | भस्मस्वरूप |
539 | भस्मशयः | भस्मपर शयन करने वाले |
450 | भागकरः | यज्ञके हविष्यका विभाजन करने वाले |
449 | भागी | यज्ञमें भागलेनेवाले |
523 | भावः | श्रद्धा-भक्तिस्वरूप |
345 | भिक्षुः | संन्यासी |
346 | भिक्षुरूपः | श्रीराम-कृष्ण आदिकी बालछविका दर्शन करनेके लिये भिक्षुरूप धारण करने वाले |
4 | भीमः | संहारकारी होन के कारण भयंकर |
163 | भूतचारी | भूतों के साथ विचरने वाले |
552 | भूतनिषेवितः | समस्त प्राणियोंद्वारा सेवित |
691 | भूतपतिः | सम्पूर्ण प्राणियोंके स्वामी |
35 | भूतभावनः | संकल्पमात्र से आकाश आदि भूतों की सृष्टि करने वाले |
634 | भूतभावनः | समस्त प्राणियोंके उत्पादक[ |
538 | भूतवाहनसारथिः | त्रिपुर-विनाशके लिये समस्त प्राणियोंके योगक्षेमका निर्वाह करने वाले ब्रहाजीको सारथि बनाने वाले |
690 | भूतालयः | सम्पूर्ण भूतोंके घर |
701 | भोजनः | अन्नदाता |
534 | मकरः | मकराकार शिशुसार चक्र |
804 | मणिविद्धः | मणिका कुण्डल पहनने के लिये, छिदे हुए कर्णवाले |
704 | मतिमान् | बुद्धिमान् |
331 | मदनः | कामदेवरूप |
359 | मधुः | वसन्त ऋतुरूप |
360 | मधुकलोचनः | मधुके समान पिंगल नेत्र वाले |
190 | मध्यमः | मध्यस्थ |
869 | मनोजवः | मनके समान वेगशाली |
316 | मनोवेगः | मनके समान वेगवाले |
79 | मन्त्रः | प्रणव आदि मन्त्ररूप |
768 | मन्त्रः | प्रणव आदि मन्त्रस्वरूप |
427 | मन्त्रकारः | मन्त्रोंका आविष्कार करने वाले |
103 | मन्त्रवित् | मन्त्रवेता |
818 | मन्थानो बहुलो वायुः | विश्व को मथ डालनेमें समर्थ प्रलयकाल की महान् वायुस्वरूप |
342 | महर्षिः | वसिष्ठ आदि |
471 | महाकम्बुः | बड़े कण्ठवाले |
467 | महाकर्णः | बड़े-बड़े कानवाले |
410 | महाकर्ता | पंच महाभूतादि सृष्टिकी रचना करने वाले |
33 | महाकर्मा | महान कर्म करने वाले |
784 | महाकल्पः | बहुमूल्य अलंकारों से अलंकृत |
39 | महाकायः | विराप |
205 | महाकायः | बड़े डील डौल वाले |
460 | महाकायः | विश्वरूप |
727 | महाकेतुः | धर्मरूप महान् ध्वजावाले |
488 | महाकोशः | बहुत बड़े पेटवाले |
577 | महाक्रोधः | प्रलयकालमें महान् क्रोध प्रकट करने वाले |
287 | महाक्षः | बड़े नेत्र वाले |
639 | महागर्भः | विशाल ब्रहाण्ड को उदर मे धारण करने वाले |
854 | महागर्भः | जगत्रूप गर्भ को धारण करने वाले होनसे महागर्भ |
454 | महागर्भपरायणः | हिरण्यगर्भके परम आश्रय |
724 | महागीतः | जिनके माहात्मयका वेद-शास्त्रोद्वारा गान किया गया है ऐसे महान् देव |
472 | महाग्रीवः | विशाल ग्रीवासे युक्त |
431 | महाघोरः | प्रलय करने वाले |
453 | महाङ्गः | महान् अंगवाले |
489 | महाजटः | बड़ी-बड़ी जटावाले |
673 | महाजत्रुः | बहुत बड़ी हंसुलवाले |
484 | महाजिह्वः | विशाल जिह्वावाले |
435 | महाज्वालः | अग्निसे भी महान् तेजवाले |
74 | महातपाः | महान तपस्वी |
175 | महातपाः | महान् तप करनेवाले |
223 | महातेजाः | महान तेज से सम्पन्न |
42 | महात्मा | |
546 | महात्मा | |
482 | महादन्तः | बड़े-बड़े दाँतवाले |
483 | महादंष्ट्रः | बड़ी-बड़ी दाढ़वाले |
595 | महादंष्ट्रः | बड़ी-बड़ी दाढ़वाले नरसिंहरूप |
603 | महादेवः | देवताओंके भी पूजनीय |
815 | महाधनुः | पिनाक नामक विषाल धनुष धारण करने वाले |
728 | महाधातुः | सुवर्णस्वरूप |
486 | महानखः | बड़े-बड़े नखवाले नृसिंह |
206 | महाननः | विशाल मुख वाले |
790 | महानागहनः | विशालकाय गजासुर का वध करने वाले |
158 | महानादः | अनाहत ध्वनिरूप |
470 | महानासः | बड़ी नासिकावाले |
725 | महानृत्यः | प्रकाण्ड़ ताण्ड़व करने वाले |
464 | महानेत्रः | विशाल नेत्रोंवाले |
51 | महान् | पूजनीय |
116 | महान् | सर्वश्रेष्ठ |
824 | महान् | श्रेष्ठतम् |
466 | महान्तकः | मृत्युकी भी मृत्यु |
756 | महापथः | सर्वोत्तम मार्गस्वरूप |
458 | महापादः | लंबे पैरोवाले त्रिविक्रमस्वरूप |
885 | महाप्रसादः | भक्तों पर महान् अनुग्रह करने वाले |
86 | महाबलः | महान शक्ति से सम्पन्न |
761 | महाबलः | अनन्त शक्तिसे सम्पन्न[ |
84 | महाबीजः | महान कारणरूप |
463 | महामात्रः | विशाल नापवाले |
480 | महामायः | महामायावी |
797 | महामालः | महती-पैरोंतक लटकने-वाली माला धारण करने वाले |
485 | महामुखः | बहुत बड़े मुखवाले |
497 | महामुनिः | अत्यन्त मननशील |
462 | महामूर्धा | महान् मस्तकवाले |
430 | महामेघनिवासी | प्रलयकालिक महामेघोंमें निवास करने वाले |
41 | महायशाः | महान यशस्वी |
461 | महायशाः | महान् सुयशवाले |
782 | महायशाः | महान् श्यषसे सम्पन्न |
596 | महायुधः | विशाल आयुधधारी |
765 | महारथः | त्रिपुरदाह के समय पृथ्वीरूपी विशाल रथ पर आरूढ़ होने वाले |
38 | महारूपः | महान रूप वाले |
789 | महारूपः | महानपवाले |
85 | महारेताः | महावीर्य शाली |
487 | महारोमा | विशाल रोमवाले वराहरूप |
773 | महार्णव निपानवित् | महासागररूपी निपानों हौजों-को जाननेवाले |
388 | महालिङ्गः | महालिंगस्वरूप |
474 | महावक्षाः | विशाल वक्षःस्थलवाले |
315 | महावेगः | वायुसे भी अधिक वेगशाली |
350 | महासेनः | देवसेनापति कार्तिकेयरूप |
45 | महाहनुः | विशाल ठोढ़ी वाले |
469 | महाहनुः | पुष्ट एवं बड़ी ठोड़ीवाले |
716 | महाहर्षः | परमानन्दस्वरूप |
459 | महाहस्तः | लंबे हाथवाले |
255 | महीचारी | सारी पृथ्वी पर विचरने वाले |
164 | महेश्वरः | इन्द्र आदि लोकेश्वरों से भी महान |
475 | महोरस्कः | चौड़ी छातीवाले |
468 | महोष्ठः | लंबे ओठवाले |
675 | महौषधः | महान् औषधस्वरूप |
925 | माता | |
913 | मात्राः | इत्यादि कालावयवस्वरूप |
633 | मान्धाता | जीव को तृप्ति प्रदान करने वाले |
420 | मान्यः | सम्मानने योग्य |
586 | मायावी | |
262 | माली | मालाधारी |
907 | मासः | मासरूप |
622 | मित्रः | बारह आदित्यों में से एक |
1005 | मुक्ततेजाः | शत्रुओं पर तेज छोड़ने वाले |
294 | मुख्यः | सर्वश्रेष्ठ |
131 | मुण्डः | मूंड मुड़ाये हुए, भिक्षुस्वरूप |
829 | मुण्डः | मुण्डित-मस्तक |
230 | मुण्डी | शिखारहित संन्यासी |
193 | मुदितः | आनन्दस्वरूप |
322 | मुनिः | मननशील |
914 | मुहूर्ताहःक्षपाः | मुहूर्त, दिन और रात्रिरूप |
233 | मूर्तिजः | शरीर रूपसे प्रकट होने वाले |
234 | मूर्द्धगः | मूद्र्धा-सहस्रार चक्र में ध्येय रूप से विद्यमान |
774 | मूलम् | संसाररूपी वृक्ष के कारण |
72 | मृगबाणार्पणः | मृगरूपधारी यज्ञ पर बाण चलाने वाले |
477 | मृगालयः | मृग-शिशुको अपनी गोदमें लिये रहनेवाले |
348 | मृदुः | कोमल स्वभाववाले |
253 | मेढ़जः | |
503 | मेरूधामा | मेरू-पर्वतको अपना निवासस्थान बनानेवाले |
929 | मोक्षद्वारम् | मोक्ष के साधनस्वरूप |
508 | यजुःपादभुजः | यजुर्वेद जिनके हाथ-पैर हैं |
209 | यज्ञः | यज्ञरूप |
216 | यज्ञः | विष्णुस्वरूप, यज्ञो वै विष्णुः |
529 | यज्ञः | यज्ञपुरुष |
275 | यज्ञविभागवित् | यज्ञसम्बन्धी हविष्य के विभिन्न भागों का ज्ञान रखने वाले |
530 | यज्ञसमाहितः | यज्ञ में उपस्थित रहनेवाले |
186 | यज्ञहा | दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करने वाले |
335 | यशः | श्यषस्वरूप |
746 | युक्तः | भक्तोंके उद्धारके लिये सदा उद्यत रहनेवाले |
747 | युक्तबाहुः | सबकी रक्षाके लिये उपयुक्त भुजाओंवाले |
786 | युगकरः | युगप्रवर्तक |
788 | युगरूपः | युगस्वरूप |
707 | युगाधिपः | युगके स्वामी |
393 | युगावहः | चारों युगोंके निर्वाहक[ |
268 | युधिशत्रुविनाशनः | युद्ध में शत्रुओं का विनाश करने वाले |
785 | योगः | चितवृतियों के निरोधस्वरूप |
392 | योगाध्यक्षः | योगके अध्यक्ष |
82 | योगी | योगनिष्ठ |
83 | योज्यः | मनोयोग के आश्रय |
722 | रतिः | प्रीतिरूप |
771 | रत्नप्रभूतः | अनेक रत्नों के भण्डाररूप |
772 | रत्नाङ्गः | रत्नमय अंगवाले |
630 | रविः | सूर्य |
983 | राजराजः | राजाओंके राजा |
143 | रुद्रः | दुःख को दूर भगाने वाले |
309 | रौद्ररूपः | भयंकर रूपधारी |
451 | लघुः | शीघ्रकारी |
478 | लम्बनः | अनेक ब्रहाण्डोके आश्रय |
479 | लम्बितोष्ठः | प्रलयकालमें सम्पूर्ण विश्वको अपना ग्रास बनानेके लिये ओठोंको फैलाये रखनेवाले |
243 | लयः | प्रलयके स्थान |
989 | ललाटाक्षः | ललाट में तीसरा नेत्र धारण करने वाले |
912 | लवाः | |
918 | लिङ्गम् | महतत्त्वस्वरूप |
390 | लिङ्गाध्यक्षः | प्रत्यक्ष आदि प्रमाणोंके अध्यक्ष |
408 | लोककर्ता | जगत कि सृष्टि करने वाले |
365 | लोकचारी | सम्पूर्ण लोकोंमें विचरनेवाले |
153 | लोकधाता | समस्त जगत का धारण-पोषण करने वाले |
46 | लोकपालः | लोकरक्षक |
544 | लोकपालः | चतुर्दश भुवनोंका पालन करने वाले |
684 | लोकहितः | लोकहितैषी |
286 | लोहिताक्षः | रक्तनेत्र |
354 | वज्रहस्तः | हाथमें वज्र धारण करने वाले इन्द्ररूप |
837 | वज्री | वज्रधारी |
972 | वज्री | वज्रायुधधारी |
218 | वडवामुखः | समुद्र में स्थित बड़वानलरूप |
666 | वणिजो | वैषयरूप |
7 | वरः | वरण करने योग्य, वरस्वरूप |
69 | वरः | वरणीय |
556 | वरः | सर्वश्रेष्ठ |
6 | वरदः | अभीष्ट वर देनेवाले |
882 | वरदाः | वरदाता |
883 | वरेण्यः | स्वामी बनाने योग्य |
881 | वरो वराहः | श्रेष्ठ वराहरूपधारी भगवान |
636 | वर्णविभावी | श्वेत-पीत आदि वर्णोको विविधरूपसे व्यक्त करने वाले |
667 | वर्धकी | संसाररूपी वृक्षको काटनेवाले बढ़ई |
739 | वर्धनःसंयोगः | वृद्धिका हेतुभूत स्त्री-पुरुषका संयोग |
582 | वंश | वंशस्वरूप |
581 | वंशकरः | वंशप्रवर्तक |
406 | वशकरः | दूसरोंको वशमें करनेकी शक्ति रखनेवाले |
583 | वंशनादः | श्रीकृष्णरूपसे वंशी बजानेवाले |
432 | वशी | सबको वशमें रखनेवाले |
405 | वश्यः | भक्तपराधीन |
314 | वसुवेगः | वायुके समान वेगवाले |
755 | वसुश्रेष्ठः | श्रेष्ठ धनस्वरूप अर्थात् मुक्तिस्वरूप |
361 | वाचस्पत्यः | पुरोहितका काम करने वाले |
362 | वाजसनः | शुक्ल यजुर्वेदकी माध्यन्दिनी शाखाके प्रवर्तक |
736 | वातः | वायुरूप |
868 | वातरंहाः | वायुके समान वेगशाली |
337 | वामः | पापियोंके प्रतिकूल |
336 | वामदेवः | वामदेव ऋषिस्वरूप |
340 | वामनः | बलिको बांधनेवाले वामन रूपधारी |
501 | वायुवाहनः | वायुका वाहनके रूपमें उपयोग करने वाले |
279 | वासवः | इन्द्रस्वरूप |
834 | विकुर्वणः | क्रियाद्वारा अलभ्य |
831 | विकृतः | सम्पूर्ण विपरीत क्रियाओं को धारण करने वाले |
827 | विख्यातो लोकः | सुप्रसिद्ध लोकस्वरूप |
367 | विचारवित् | विचारोंके ज्ञाता |
181 | विजयः | विजेता |
288 | विजयाक्षः | विजयशील रथवाले |
428 | विद्वान् | सर्वज्ञ |
632 | विधाता | प्रजाका विशेषरूप से धारण-पोषण करने वाले |
124 | विनतः | विनयशील |
347 | विपणः | व्यवहारसे अतीत |
965 | विबुधः | विशेष ज्ञानवान् |
247 | विभागः | विभागस्वरूप |
273 | विभागज्ञः | प्राणियो के कर्म और फलों के विभाग को यथोचितरूप से जानने वाले |
145 | विभुः | सर्वव्यापी |
203 | विभुः | विविध रूपो से प्रकट होने वाले |
635 | विभुः | विविधरूपसे विद्यमान |
696 | विभुः | सर्वव्यापी |
757 | विमर्शः शिरोहारी | विवेकपूर्वक दुष्टों का शिरष्छेद करने वाले |
1004 | विमुक्तः | नित्य मुक्त |
250 | विमोचनः | संसार-बन्धन से छुड़ाने वाले |
225 | वियजकालवित् | विजय के समय का ज्ञान रखने वाले |
957 | विरजः | रजोगुणरहित |
987 | विरामः | सबसे उपरत |
830 | विरूपः | विकट रूपवाले |
901 | विवस्वान् सवितामृतः | किरणों से सुशोभित एवं जगत को उत्पन्न करने वाले अमृतस्वरूप सूर्य |
351 | विशाखः | कार्तिकेयके सहायक |
329 | विशाम्पतिः | प्रजाओंके स्वामी |
289 | विशारदः | विद्वान् |
775 | विशालः | अत्यन्त शोभायमान |
557 | विशालशाखः | लंबी भुजाओंवाले |
60 | विशालाक्षः | विशाल नेत्र वाले |
948 | विश्वः | विराटस्वरूप |
555 | विश्वकर्ममतिः | संसारकी रचनारूप कर्ममें कुशल |
916 | विश्वक्षेत्रम | ब्रहाण्डरूपी वृक्ष के आधार |
604 | विश्वदेवः | सम्पूर्ण विश्वके आराध्यदेव |
990 | विश्वदेवः | सम्पूर्ण विश्वदेव के द्वारा क्रीड़ा करने वाले |
246 | विश्वबाहुः | सब ओर भुजा वाले |
44 | विश्वरूपः | सम्पूर्ण विश्व जिनका रूप है वे |
95 | विश्वरूपः | जगत्स्वरूप |
803 | विषण्णाङ्गः | अंगरहित अर्थात् सर्वथा निराकार |
355 | विष्कम्भी | विस्तारयुक्त |
621 | विष्णुः | सर्वव्यापी नारायणदेव |
215 | विष्णुप्रसादितः | भगवान विष्णु ने जिन्हें आराधना करके प्रसन्न किया था वे शिव |
207 | विष्वक्सेनः | दैत्यों की सेना को सब ओर भगा देने वाले |
807 | विसर्गः | विसर्जनीयस्वरूप |
799 | विस्तारो लवणः कूपः | विस्तृत क्षारसमुद्रस्वरूप |
668 | वृक्षः | संसाररूप वृक्षस्वरूप |
202 | वृक्षकर्णस्थितिः | वटवृक्ष के पते पर शयन करने वाले बालमुकुन्दरूप |
499 | वृक्षकेतुः | वृक्षके समान उंची ध्वजावाले |
498 | वृक्षाकारः | संसारवृक्षस्वरूप |
357 | वृत्तावृत्तकरः | युद्धमें रथके द्वारा मण्ड़ल बनाना वृत कहलाता है और शत्रुसेनाको विदीर्ण करके अक्षत शरीरसे लौट आना आवृत कहलाता है इन दोनोंको कुशलतापूर्वक करने वाले |
740 | वृद्धः | गुणोंमें बढ़ा-चढ़ा |
439 | वृषणः | कर्मफलकी वर्षा करने वाले धर्मस्वरूप |
40 | वृषरूपः | धर्मस्वरूप |
236 | वेणवी | वंशी बजाने वाले श्रीकृष्ण |
426 | वेदकारः | वेदोंका कर्ता |
404 | वैदम्भः | दम्भरहित पुरुषोंके आत्मीय |
956 | वैद्यः | वैद्यस्वरूप |
618 | वैश्रवणः | कुबेरस्वरूप |
922 | व्यक्तम् | साकाररूप |
777 | व्यक्ताव्यक्तः | साकार-निराकार स्वरूप |
182 | व्यवसायः | दृढ़निश्चयी |
962 | व्याघ्रः | सिंहस्वरूप |
259 | व्यालरूपः | शेषनागस्वरूप |
902 | व्यासः | पुराण-इतिहास आदि के स्रष्टा वेदव्यासस्वरूप |
1000 | व्रताधिपः | व्रतों के अधिपति |
415 | शक्रः | इन्द्र |
620 | शक्रः | इन्द्रस्वरूप |
440 | शङ्करः | कल्याणकारी |
599 | शङ्करः | कल्याणकारी |
600 | शङ्करः | भक्तोंको आनन्द देनेवाले |
838 | शतजिह्वः | सैकड़ो जिहवावाले |
112 | शतध्नी | छठे हाथ में शतध्नी रखने वाले |
852 | शतध्नीपाशशक्तिमान् | शतध्नी, पाश और शक्तिसे युक्त |
887 | शत्रुहा | शत्रुनाशक |
65 | शनिः | |
809 | शरः | अनुस्वाररूप |
845 | शरण्यः | षरण लेने के योग्य |
598 | शर्वः | प्रलयकालमें सबका संहार करने वाले |
798 | शशी हरसुलोचनः | चन्द्रमा के समान सौम्य दृष्टियुक्त महादवे |
25 | शाश्वतः | नित्य |
15 | शिखण्डी | शिखाधारी |
229 | शिखी | शिखाधारी गृहस्थस्वरूप |
614 | शिवः | कल्याणस्वरूप |
781 | शीलधारी | सुशीलसम्पन्न |
548 | शुक्लः | शुद्धस्वरूप |
563 | शुक्लः | श्वेत वर्णवाले |
551 | शुचिः | परम पवित्र |
999 | शुचिः | सर्वथा शुद्ध |
419 | शुद्धः | परम पवित्र |
418 | शुद्धात्माः | शुद्धस्वरूप |
769 | शुभाक्षः | मंगलमयी दृष्टिवाले |
981 | शृङ्गप्रियः | पर्वत-शिखर को पसंद करने वाले |
980 | शृङ्गी | सिंगी नामक बाजा अपने पास रखने वाले |
445 | शोभनः | शोभाशाली |
971 | शोभनः | कल्याणस्वरूप |
473 | श्मशानभाक् | श्मशान भूमिमें क्रीड़ा करने वाले |
27 | श्मशानवासी | शषान भूमि में निवास करने वाले |
319 | श्रियावासी | लक्ष्मीके साथ निवास करने वाले विष्णुरूप |
1006 | श्रीमान् | योगैश्वर्य से सम्पन्न |
1007 | श्रीवर्धनः | भक्तों की सम्पति को बढ़ाने वाले |
129 | श्रृगालरूपः | सियार का रूप धारण करने वाले |
888 | श्वेतपिङ्गलः | अर्धनारीनरेश्वर वेश में श्वेत-पिङ्गल वर्ण वाले |
352 | षष्टिभागः | प्रभव आदि साठ भागों में विभक्त संवत्सररूप |
819 | सकलः | सम्पूर्ण कलाओंसे युक्त |
399 | सकल्पः | कल्प-यज्ञोंके प्रयोग और विधिके विचारके साथ मीमांसा और न्यायका समूह |
594 | सकामारिः | कामविजयी योगियोंके साथी |
909 | संख्यासमापनः | पूर्वोक्त ऋतु आदि की संख्या समाप्त करने वाले पर्व संक्रान्ति, दर्ष, पूर्णमासादि रूप |
536 | सगणः | प्रमथ आदि गणोंसे युक्त |
290 | संग्रहः | संग्रह करने वाले |
657 | सत् | सत्स्वरूप |
920 | सत् | सत्स्वरूप |
706 | सत्कृतः | सबके द्वारा सम्मानित |
998 | सत्यव्रतः | सत्यप्रतिज्ञ |
801 | सफलोलदयः | जिसका अवताररूपमें प्रकट होना सफल हैं |
689 | सभावनः | धर्मस्थानकी रक्षा करने वाले |
429 | समरमर्दनः | समरांगणमें शत्रुओंका संहार करने वाले |
762 | समाम्नायः | वेदस्वरूप |
217 | समुद्रः | महासागररूप |
550 | सम्पन्नः | सम्पूबर्ण सम्पदाओंसे युक्त |
324 | सम्भग्नः | सम्यक् रूपसे सेवित |
593 | सयज्ञारिः | दक्षयज्ञ-शत्रुओंके साथी |
699 | संयतः | संयमशील |
210 | संयुगापीडवाहनः | युद्ध में पीड़ारहित वाहन वाले |
903 | सर्गः सुसंक्षेपो विस्तारः | संक्षिप्त और विस्तृत सृष्टिस्वरूप |
293 | सर्पचीर निवासनः | सर्पमय चीर धारण करने वाले |
10 | सर्वः | विश्वात्मा होनेके कारण सर्वस्वरूप |
518 | सर्वः | सर्वस्वरूप |
11 | सर्वकरः | सम्पूर्ण जगत के स्रष्टा |
817 | सर्वकर्मणामुत्थानः | समस्त कर्मों के उत्थानस्वरूप |
54 | सर्वकर्मा | सारा जगत जिनका कर्म है वे |
159 | सर्वकामः | सम्पूर्ण कामनाओं से सम्पन्न |
637 | सर्वकाम गुणावहः | समस्त भोगों और गुणोंकी प्राप्ति करानेवाले |
298 | सर्वकामदः | सम्पूर्ण कामनाओंके दाता |
302 | सर्वकामवरः | |
299 | सर्वकालप्रसादः | सम्पन्न |
248 | सर्वगः | सर्वव्यापी |
733 | सर्वगन्धसुखावहः | सम्पूर्ण गन्धादि विषयोके सुखकी प्राप्ति करानेवाले |
627 | सर्वगो वायुः | सर्वव्यापी वायु-सूत्रात्मा |
277 | सर्वचारी | सर्वत्र विचरने वाले |
366 | सर्वचारी | सर्वत्र गमन करने वाले |
88 | सर्वज्ञः | सब कुछ जानने वाले |
257 | सर्वतूर्यनिनादी | सब प्रकार के बाजे बजाने वाले |
304 | सर्वतोमुखः | सब और मुखवाले |
303 | सर्वदः | सब कुछ देनेवाले |
968 | सर्वदेवः | सर्वदेवस्वरूप |
841 | सर्वदेवमयः | सम्पूर्ण देवस्वरूप |
950 | सर्वदेवमयः | सम्पर्ण देवस्वरूप |
457 | सर्वदेहिनाम् इन्द्रियम् | समस्त देहधारियोंके इन्द्रियसमुदायरूप |
284 | सर्वधारी | सबको धारण करने वाले |
893 | सर्वपार्श्वमुखः | सम्पूर्ण दिशाओं की ओर मुखवाले |
979 | सर्वपावनः | सबको पवित्र करने वाले |
547 | सर्वपूजितः | सबके द्वारा पूजित |
105 | सर्वभावकरः | समस्त पदार्थों की सृष्टि करने वाले |
17 | सर्वभावनः | सबके उत्पादक |
20 | सर्वभूतहरः | सम्पूर्ण भूतोंका संहार करने वाले |
43 | सर्वभूतात्मा | सम्पूर्ण भूतों के आत्मा |
695 | सर्वभूतानां निलयं | समस्त प्राणियोंके निवासस्थान |
694 | सर्वभूतानां वाहिता | सम्पूर्ण भूतोंका भार वाहन करने वाले |
760 | सर्वयोगी | सभी समयमें योगयुक्त |
659 | सर्वरत्नवित् | सम्पूर्ण रत्नोंके ज्ञाता |
758 | सर्वलक्षणलक्षितः | समस्त शुभ लक्षणोंसे सम्पन्न |
173 | सर्वलालसः | सब पर प्रेम रखने वाले |
846 | सर्वलोककृत् | सम्पूर्ण लोकों के उत्पन्न करने वाले |
37 | सर्वलोकप्रजापतिः | सम्पूर्ण लोकों की प्रजाओं के पालक |
820 | सर्वलोचनः | सबके दृष्टा |
276 | सर्ववासः | सर्वत्र निवास करने वाले |
318 | सर्ववासी | सम्पूीर्ण प्राणियोंमें आत्मारूपसे निवास करने वाले |
9 | सर्वविख्यातः | सर्वत्र प्रसिद्ध |
228 | सर्वविग्रहः | सर्वस्वरूप |
132 | सर्वशुभंकरः | समस्त प्राणियों का हित करने वाले |
988 | सर्वसाधनः | सभी साधनों द्वारा साध्य |
271 | सर्वसाधुनिषेवितः | समस्त साधुपुरुषोद्वारा सेवित |
16 | सर्वाङ्गः | सम्पूर्ण अंगोंसे सम्पन्न |
844 | सर्वाङ्गः | समस्त अंगोसे सम्पन्न |
585 | सर्वाङ्गरूपः | सर्वाङ्ग पूर्णस्वरूपवाले |
258 | सर्वातोद्यपरिग्रहः | सम्पूर्ण वाद्यों का संग्रह करने वाले |
8 | सर्वात्मा | सबके आत्मा |
810 | सर्वायुधः | सम्पूर्ण आयुधों से युक्त |
652 | सर्वाशयः | सबके आश्रय |
828 | सर्वाश्रयः क्रमः | सबके आधारभूत गति |
654 | सर्वेषो प्राणिनां पतिः | समस्त प्राणियोंके स्वामी |
906 | संवत्सरः | संवत्सरूप |
78 | संवत्सरकरः | संवत्र का निर्माता |
629 | सविता | सम्पूर्ण जगत कि उत्पति करने वाले |
811 | सहः | सहनशील |
325 | सहस्रदः | हजारोंका दान करने वाले |
839 | सहस्रपात् सहस्रमूर्धा | सहस्रों पैर और मस्तकवाले |
843 | सहस्रबाहुः | सहस्रों भुजाओंवाले |
180 | सहस्रहस्तः | हजारो हाथो वाले |
59 | सहस्राक्षः | सहस्रों नेत्र वाले |
213 | सहायः | जीवमात्र के सखा |
269 | सांख्यप्रसादः | आत्मा और अनात्मा के विवेकरूप सांख्यज्ञान से प्रसन्न होने वाले |
899 | साध्यर्षिः | साध्य देवताओं के आचार्य |
506 | सामास्यः | सामवेद जिनका मुख है वे |
672 | सारग्रीवः | सुदृढ़ कण्ठवाले |
686 | सारङ्गः | चातकस्वरूप |
996 | सिद्धभूतार्थः | जिसके समस्त प्रयोजन सिद्ध हैं |
341 | सिद्धयोगी | सनत्कुमार आदि सिद्ध महात्मा |
344 | सिद्धसाधकः | सिद्ध और साधकरूप |
130 | सिद्धार्थः | जिनके सभी प्रयोजन सिद्ध हैं |
343 | सिद्धार्थः | आप्तकाम |
677 | सिद्धार्थः | वेदकी व्याख्यासे निर्णीत उत्कृष्ट सिद्धान्तस्वरूप |
995 | सिद्धार्थः | आप्तकाम |
676 | सिद्धार्थकारी | आश्रितजनोंको सफलमनोरथ करने वाले |
227 | सिद्धिः | सिद्धिस्वरूप |
680 | सिंहगः | सिंहपर आरूढ़ होकर चलनेवाले |
679 | सिंहदंष्ट्रः | सिंहके समान दाड़वाले |
678 | सिंहनादः | सिंहके समान गर्जना करने वाले |
681 | सिंहवाहनः | सिंहपर सवारी करने वाले |
155 | सिंहशार्दूलरूपः | सिंह-व्याघ्र आदि का रूप धारण करने वाले |
813 | सुखाजातः | सब वृतियों का लय होने पर सुखरूपसे प्रकट होने वाले |
656 | सुखासक्तः | अपने परमानन्दमय स्वरूपमें ही रत रहनेवाले |
814 | सुगन्धारः | उत्तम गन्धसे युक्त |
826 | सुच्छत्रः | उत्तम छत्रस्वरूप |
204 | सुतीक्ष्णदशनः | अत्यन्त तीखे दांत वाले |
127 | सुतीर्थः | उत्तम तीर्थस्वरूप |
515 | सुदर्शनः | सुन्दर दर्शनवाले |
560 | सुनिश्चलः | सर्वथा निश्चलरूप |
592 | सुबन्धनविमोचनः | मायाके सुदृढ़ बन्धनसे छुड़ानेवाले |
300 | सुबलः | उत्त |
575 | सुबान्धवः | उत्तम बान्धवरूप |
89 | सुबीजः | उत्तम बीजरूप |
884 | सुमहास्वनः | महान गर्जना करने वाले |
808 | सुमुखः | सुन्दर मुखवाले |
970 | सुयुक्तः | भक्तों पर कृपा करने के लिये सब तरह से सदा सावधान रहने वाले |
986 | सुरगणः | देवसमुदायरूप |
872 | सुरभ्युत्तरणः | सुरभि को नीचे उतारनेवाले |
391 | सुराध्यक्षः | देवताओंके अधिपति |
605 | सुरारिहा | देवशत्रुओं वध करने वाले |
118 | सुरूपः | सुन्दर रूपवाले |
122 | सुवक्त्रः | सुन्दर मुख वाले |
149 | सुवर्चसः | सुन्दर तेजवाले |
313 | सुवर्चसी | उत्तम तेजसे सम्पन्न |
456 | सुवर्णः | उत्तम वर्णवाले |
87 | सुवर्णरेताः | अग्निरूप |
720 | सुवासः | कैलास नामक सुन्दर स्थानमें वास करने वाले |
570 | सुविज्ञेयः | सुगमतापूर्वक जानने योग्य |
571 | सुशारदः | उत्तिम वाणी बोलनेवाले |
750 | सुषाढः | उत्तम सहनशील |
251 | सुसरणः | श्रेष्ठ आश्रय |
189 | सुसहः | अति सहनशील |
423 | सुस्वप्नः | सुन्दर स्वप्नवाले |
587 | सुहृदः | हेतुरहित दयालु |
967 | सूक्ष्मः | अत्यन्त सूक्ष्मस्वरूप |
897 | सूक्ष्मात्मा | अति सूक्ष्मस्वरूप |
64 | सूर्यः | सबकी उत्पति के हेतुभूत सूर्य |
783 | सेनाकल्पः | सेना के आभूषणरूप |
144 | सेनापतिः | सेनानायक |
61 | सोमः | चन्द्रस्वरूप |
617 | स्कन्दः | स्वामी कार्तिकेयस्वरूप |
256 | स्त्रुतः | सर्वत्र पहुँचे हुए |
117 | स्त्रुवहस्तः | दसवें हाथ में स्त्रुवा धारण करने वाले |
2 | स्थाणुः | गृहके आधारभूत खम्भके समान समस्त जगत के आधारस्तम्भ |
993 | स्थावराणां पतिः | पर्वतों के स्वामी हिमाचलादिरूप |
1 | स्थिरः | चंचलतारहित, कूटस्थ एवं नित्य |
525 | स्थिरः | स्थिरस्वरूप |
494 | स्नेहनः | प्रजाओंके प्रति पिताकी भाँति स्नेह रखनेवाले |
96 | स्वयं श्रेष्ठः | स्वतःसिद्ध श्रेष्ठता से सम्पन्न |
55 | स्वयम्भूतः | नित्यसिद्ध |
927 | स्वर्गद्वारम् | स्वर्ग के साधनस्वरूप |
167 | स्वर्भानुः | |
447 | स्वस्तिदः | कल्याणदायक |
448 | स्वस्तिभावः | कल्याणमयी सता |
49 | हयगर्दभिः | खच्चर जुते रथ पर चलने वाले |
18 | हरः | पापहारी |
106 | हरः | दुःख हरण करने वाले |
753 | हरः | पापहारी |
208 | हरिः | आपतियों को हर लेने वाले |
377 | हरिः | विष्णुस्वरूप |
712 | हरिः | भक्तों का दुःख हर लेनेवाले |
787 | हरिः | भक्तों का दुःख हर लेनेवाले |
126 | हरिकेशः | ब्रहा, विष्णु, महेशस्वरूप |
752 | हरिणः | शुद्धस्वरूप |
991 | हरिणः | मृगरूप |
19 | हरिणाक्षः | मृगके समान विशाल नेत्र वाले |
835 | हर्यक्षः | सिंहस्वरूप |
212 | हर्यश्वः | हरे रंग के घोड़ो से युक्त |
438 | हविः | घी-दूध आदि हवनीय पदार्थरूप |
609 | हविः | हविष्यरूप |
961 | हस्तीश्वरः | ऐरावत हस्ती के ईश्वर-इन्द्रस्वरूप |
661 | हिमवद्गिरिसंश्रयः | हिमालयपर्वतके निवासी |
252 | हिरण्य कवचोद्भवः | हिरण्यगर्भ की उत्पति का स्थान |
713 | हिरण्यबाहुः | सुनहरी कान्तिवाली सुन्दर भुजाओंसे सुशोभित |
437 | हुतः | आहुति पाकर प्रसन्न होने वाले अग्निरूप |
221 | हुताशनः | अग्नि |
219 | हुताशनसहायः | अग्नि के सखा वायुरूप |
282 | हेमकरः | सुवर्णके उत्पादक |
281 | हैमः | हिमसमूह- हिमालयरूप |
932 | ह्लादनः | आनन्द प्रदान करने वाले |
॥ ॐ श्री-सीता-लक्ष्मण-भरत-शत्रुघ्न-हनुमत्समेत -श्रीरामचन्द्रपरब्रह्मार्पणमस्तु ॥
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